No Bra No Exam Rule:बिना ब्रा नहीं मिलेगा एग्जाम हॉल में प्रवेश, एग्जाम से पहले की गई शर्मनाक जांच, यूनिवर्सिटी प्रशासन की हरकत से फूटा आक्रोश
No Bra No Exam Rule:परीक्षा हॉल में घुसने के लिए एक ऐसा ड्रेस कोड लागू किया है कि अब लड़कियों को अपनी डिग्री से ज़्यादा अंत:वस्त्र की फ़िक्र सता रही है....

No Bra No Exam Rule: वाह रे दुनिया! पश्चिमी अफ्रीका के नाइजीरिया से एक ऐसा अजीबो-गरीब किस्सा सामने आया है जिसे सुनकर आप अपना माथा पीट लेंगे. यहाँ ओलाबिसी ओनाबांजो विश्वविद्यालय ने परीक्षा हॉल में घुसने के लिए एक ऐसा 'ड्रेस कोड' लागू किया है कि अब लड़कियों को अपनी डिग्री से ज़्यादा 'अंडरवियर' की फ़िक्र सता रही है. जी हाँ, आपने सही सुना! इस पावन ज्ञान के मंदिर में छात्राओं को बिना ब्रा पहने परीक्षा देने की इजाज़त नहीं है. और हद तो तब हो गई जब इस नियम का पालन करवाने के लिए महिला कर्मचारियों द्वारा छात्राओं के 'संवेदनशील अंगों' को छूकर 'चेक' किया जा रहा है.
एक वीडियो क्या वायरल हुआ, सारी पोल खुल गई! वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे मासूम छात्राओं को परीक्षा हॉल में घुसने के लिए लंबी कतारों में खड़ा किया गया है और फिर कुछ महिला कर्मचारी बड़े ही आपत्तिजनक तरीके से उनकी 'छाती' को छूती हुई नज़र आ रही हैं. अब आप ही बताइए, ये 'ड्रेस कोड' है या 'ड्रेस कोड के नाम पर उत्पीड़न'?
गुस्सा होना लाज़मी है, और हुआ भी! ये वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. खुद विश्वविद्यालय की छात्राएं कह रही हैं कि उन्हें बेहद अभद्र तरीके से छुआ गया है. उन्होंने तो यहाँ तक बताया है कि यह कोई नया कारनामा नहीं है, पहले भी ऐसे नियम यहाँ जारी हो चुके हैं. जानकारी तो यह भी है कि विश्वविद्यालय के 'ड्रेस कोड' में ऐसे किसी भी कपड़े पर प्रतिबंध है 'जिससे दूसरे जेंडर वाले लोगों की वासना न जगे.' भई वाह! यानी, लड़कियों के कपड़ों से 'वासना' जागती है, और जो 'चेक' कर रही हैं, उनकी नीयत पर कोई सवाल नहीं?
अब सबसे मज़ेदार बात सुनिए. जब इस मामले पर विश्वविद्यालय से जवाब माँगा गया तो उन्होंने तो मुँह ही सिल लिया, लेकिन उनके 'दूरदर्शी' छात्र नेता महोदय इस फैसले का बचाव करने कूद पड़े. छात्र संघ के अध्यक्ष मुइज ओलाटुनजी ने 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर ज्ञान बघारा है कि यह तो 'संस्थान के ड्रेस कोड का हिस्सा' है और इससे 'लोगों का ध्यान भटकने से रुकेगा.' उनका कहना है कि इस नीति का उद्देश्य 'एक सम्मानजनक वातावरण बनाए रखना' है. अब हमें कौन समझाए कि क्या 'सम्मानजनक वातावरण' तभी बनता है जब लड़कियों को परीक्षा में बैठने से पहले अपनी ब्रा साबित करनी पड़े? क्या यही है आधुनिक शिक्षा और सम्मान का नया मानदंड? या फिर ये सब कुछ 'वासना' के नाम पर मानसिक उत्पीड़न का एक नया तरीका है? खैर, फैसला आप पर छोड़ते हैं!