Bihar School News: क्लासरूम में सन्नाटा देख भड़के पटना के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम, BEO पर कार्रवाई के निर्देश, सरकारी स्कूलों की खुली पोल
Bihar School News: जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने औचक निरीक्षण किया, तो जो नज़ारा सामने आया, वह केवल एक स्कूल की नहीं, बल्कि पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है।

Bihar School News: शिक्षा जिसे समाज की बुनियाद कहा जाता है, आज उसी बुनियाद में दरारें पड़ती दिख रही हैं। सरकारी स्कूलों की हालत किसी खंडहर से कम नहीं, और सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि वहाँ केवल इमारतें बची हैं, न तो विद्यार्थी हैं, न ही वास्तविक पढ़ाई की परंपरा।
पटना के पुनपुन प्रखंड के श्री लाल बहादुर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मखदुमपुर में जब जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने औचक निरीक्षण किया, तो जो नज़ारा सामने आया, वह केवल एक स्कूल की नहीं, बल्कि पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है।
उपस्थिति रजिस्टर में छात्रों की हाजिरी चमक रही थी पूरे 100 नाम दर्ज, मानो विद्यालय में ज्ञान का उत्सव चल रहा हो। लेकिन जब डीएम कक्षा में दाखिल हुए, तो वहां पसरा था सन्नाटा, चारों ओर खाली बेंचें और दीवारों पर जड़ता।
इस धोखाधड़ी पर डॉ. त्यागराजन ने गहरा रोष प्रकट किया। उन्होंने स्पष्ट कहा, "यह मात्र लापरवाही नहीं, शिक्षा व्यवस्था के साथ विश्वासघात है।" उन्होंने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए और पूरे मामले की रिपोर्ट तत्काल सौंपने को कहा।
जब डीएम ने इस अदृश्य विद्यार्थियों की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश की और स्कूल प्रबंधन से पूछा कि छात्र कहाँ हैं, तो जो जवाब मिला, वह चौंकाने वाला था"सभी बच्चे कोचिंग में हैं।
यह उत्तर केवल स्कूल की विफलता नहीं दर्शाता, बल्कि यह उस कोचिंग-संस्कृति की गूंज है, जिसने सरकारी विद्यालयों की साख को दीमक की तरह चाट लिया है। छात्र अब स्कूल को औपचारिकता समझते हैं, और शिक्षक भी बस रजिस्टर भर कर अपनी ड्यूटी पूरी मान लेते हैं।
निरीक्षण के दौरान प्रभारी प्राचार्य की ओर से भी भ्रामक जानकारी दी गई। हस्ताक्षर तो थे, लेकिन छात्रों का अता-पता नहीं। यह रवैया इस ओर इशारा करता है कि शिक्षकों और प्रशासनिक अमले की मिलीभगत से एक कृत्रिम उपस्थिति का खेल खेला जा रहा है।
डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मसौढ़ी अनुमंडल पदाधिकारी को निर्देशित किया कि पुनपुन प्रखंड के सभी विद्यालयों की नियमित मॉनिटरिंग की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कक्षा में वास्तव में विद्यार्थी मौजूद हों, न कि सिर्फ रजिस्टर में नाम दर्ज हों।
यह समस्या केवल पुनपुन के एक विद्यालय तक सीमित नहीं है। आज पूरे बिहार में कई ऐसे स्कूल हैं जहाँ शिक्षा का अभिनय किया जा रहा है। हाजिरी दर्ज होती है, मिड-डे मील बनता है, रिपोर्ट भेजी जाती है but the classroom remains empty, learning absent, and the future uncertain.
बात शिक्षा की हो रही थी, लेकिन डीएम ने पुनपुन क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का भी मुआयना किया। 331 करोड़ रुपये की लागत से बन रही 6.80 किमी चौड़ी सड़क की समीक्षा की गई, जिससे 10 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि यह परियोजना मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा की घोषणाओं का हिस्सा है, और सरकार इसे प्राथमिकता के साथ पूर्ण करना चाहती है।