Bihar Teacher News: बिहार के लाखों शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने दी राहत, तकनीक की ग़लती पर अब नहीं कटेगा वेतन, डिजिटल हाजिरी पर नरमी

Bihar Teacher News: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में लंबे अरसे से उबाल पैदा कर रही मोबाइल ऐप आधारित ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था पर आखिरकार सरकार ने राहत की मुहर लगा दी है।

Bihar Teacher News no pay cut for tech errors
बिहार के लाखों शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने दी राहत- फोटो : social Media

Bihar Teacher News: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में लंबे अरसे से उबाल पैदा कर रही मोबाइल ऐप आधारित ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था पर आखिरकार सरकार ने राहत की मुहर लगा दी है। शिक्षा विभाग के इस ताज़ा फ़ैसले को महज़ प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि शिक्षकों के दबाव और ज़मीनी हक़ीक़त को स्वीकार करने वाला सियासी संदेश माना जा रहा है। अब अगर नेटवर्क, सर्वर या ऐप की तकनीकी ख़राबी के चलते किसी शिक्षक की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती है, तो उसका वेतन नहीं काटा जाएगा। ऐसे मामलों में भौतिक उपस्थिति को ही अंतिम आधार माना जाएगा।

यह फ़ैसला उन हज़ारों शिक्षकों के लिए सुकून की सांस जैसा है, जो रोज़ाना वक़्त पर स्कूल पहुंचने के बावजूद तकनीक की बेरुख़ी का शिकार हो रहे थे। ऑनलाइन हाजिरी के नाम पर कई बार ईमानदार शिक्षकों की तनख़्वाह काट ली जाती थी, जिससे उनमें ग़ुस्सा, मायूसी और बेबसी बढ़ रही थी। विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर था और इसे डिजिटल ज़ुल्म तक कह रहा था।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला की ओर से जारी निर्देश में साफ़ कहा गया है कि जिन शिक्षकों का वेतन पहले तकनीकी कारणों से काटा गया है, वह भी वापस किया जाएगा। इसके लिए जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों और स्थापना प्रभारी अफ़सरों को हिदायत दी गई है कि वे नियमानुसार स्पष्टीकरण और प्रमाण लेकर भौतिक उपस्थिति के आधार पर भुगतान सुनिश्चित करें। सरकार का दावा है कि इससे नियमित और मेहनती शिक्षकों को मानसिक और आर्थिक राहत मिलेगी।

दरअसल, ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था को शिक्षकों की लेटलतीफी और बिना सूचना ग़ायब रहने पर नकेल कसने के लिए लागू किया गया था। मंशा नेक थी, लेकिन अमल में तकनीक की कमज़ोरियां सामने आने लगीं। नेटवर्क न होना, सर्वर डाउन रहना या ऐप का हैंग होना इन सबका खामियाज़ा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा था। लगातार मिल रही शिकायतों ने सरकार को अपना रुख़ बदलने पर मजबूर किया।

हालांकि, शिक्षा विभाग ने यह भी दो टूक कर दिया है कि यह राहत सिर्फ़ उन्हीं मामलों में मिलेगी, जहां ग़लती तकनीकी हो। जानबूझकर देर से आने या बिना इजाज़त ग़ैरहाज़िर रहने वालों पर सख़्ती पहले की तरह जारी रहेगी। ऐसे शिक्षकों से स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा और संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई होगी।

सियासी तौर पर देखें तो यह फ़ैसला सरकार के लिए बैलेंस साधने की कोशिश है एक तरफ़ ईमानदार शिक्षकों को इंसाफ़, दूसरी तरफ़ अनुशासन का पैग़ाम। अब देखना यह है कि यह राहत ज़मीन पर कितनी ईमानदारी से लागू होती है, या फिर फ़ाइलों में ही सिमट कर रह जाती है।