Bihar Vidhansabha Chunav 2025:भोजपुरी स्टार्स का बिहार चुनाव में एंट्री, खेसारी लाल यादव और सीमा सिंह ने बदला सियासी परिदृश्य, चर्चा और बहस दोनों तेज
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भोजपुरी सिनेमा के दो बड़े नाम अब सीधे राजनीतिक अखाड़े में कूद चुके हैं।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भोजपुरी सिनेमा के दो बड़े नाम अब सीधे राजनीतिक अखाड़े में कूद चुके हैं। छपरा विधानसभा सीट से खेसारी लाल यादव और मढ़ौरा विधानसभा सीट से सीमा सिंह ने अपने-अपने दलों के लिए उम्मीदवार घोषित कर सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।
गुरुवार को खेसारी लाल यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सदस्यता ग्रहण की और फेसबुक पर पोस्ट साझा कर कहा कि वे अब छपरा से चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले उनके परिवार की तरफ से चर्चा थी कि उनकी पत्नी चंदा देवी चुनाव में उतरेगी और मांझी सीट से राजद का टिकट हासिल कर सकती हैं। लेकिन अब खेसारी ने खुद यह स्पष्ट किया कि उनका मैदान छपरा विधानसभा सीट ही होगा।
वहीं, सीमा सिंह ने राजनीति में कदम रखते हुए लोजपा (रामविलास) R के टिकट पर मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। भोजपुरी सिनेमा की ‘डांसिंग क्वीन’ और ‘आइटम क्वीन’ के नाम से मशहूर सीमा सिंह अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की रहने वाली सीमा सिंह ने बिहार के शेखपुरा जिले के बरबीघा के सौरव सिंह से शादी की है। उनकी लोकप्रियता और स्टार पावर पार्टी को मढ़ौरा सीट पर फायदा दिला सकती है।
इन दोनों नामों की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। एक यूजर ने लिखा कि “खुस्से यादव उर्फ खेसारी लाल को नौटंकी मंत्रालय दिया जाए”, जबकि सीमा सिंह पर मजाकिया अंदाज में टिप्पणी की गई कि “विधायक बनने पर बिहार को नाच के क्षेत्र में बहुत आगे ले जाएंगी।”
दूसरे यूजर ने सवाल उठाया कि “जनता भले किसी भी पार्टी की समर्थक हो, जब कोई पार्टी नाचने-गाने वाली को प्रत्याशी बनाए, तो उसे हराया जाए।” उनके अनुसार, वास्तविक राजनीति और अनुभव वाले नेताओं के मुकाबले स्टार पावर वाले उम्मीदवारों की जीत से जनता को नुकसान हो सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि खेसारी लाल यादव और सीमा सिंह जैसे सेलिब्रिटी उम्मीदवारों की एंट्री राजनीतिक रणनीति और जनाधार दोनों को ध्यान में रखकर की गई है। पार्टियां उम्मीद कर रही हैं कि इनके नाम और लोकप्रियता से युवाओं और वोटरों का ध्यान आकर्षित होगा।
लेकिन यह भी सच है कि सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ समर्थक इसे मनोरंजन और राजनीति का संगम मान रहे हैं, जबकि आलोचक इसे सियासी अनुभव की कमी के रूप में देख रहे हैं।
इस बार दल अपनी चुनावी रणनीति में स्टार पावर और लोकप्रियता को प्रमुख हथियार बना रहे हैं। खेसारी और सीमा जैसे उम्मीदवारों की भागीदारी इस चुनाव को न केवल मनोरंजक बनाएगी, बल्कि राजनीतिक परिदृश्य में नए रंग और बहस भी जोड़ रही है।