Bihar Election: बिहार में मुस्लिम-यादव समीकरण हुआ धाराशायी, महागठबंधन 35 पर सिमटा, 10 वीं बार शपथ लेंगे नीतीश
Bihar Election: सबसे बड़ा झटका महागठबंधन को लगा। राजद का ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण पूरी तरह से धराशायी हो गया।...
Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक नया सियासी इतिहास रच दिया है। एनडीए ने अपना घोषित लक्ष्य "2025, 225 फिर से नीतीश" हासिल करने का संकल्प लिया था, और यही संकल्प चुनावी रण में विजय का मूल मंत्र बन गया। हालांकि, 243 सीटों में से 225 सीटें जीतने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ, लेकिन जो हुआ, वह आश्चर्यजनक था।
एनडीए ने 200 सीटों के आंकड़े को पार कर लिया, जो शायद खुद एनडीए के नेताओं ने भी उम्मीद नहीं की थी। चुनाव के पहले ही, पार्टी के वरिष्ठ नेता इस चुनाव में 160 से 165 सीटें जीतने की बात कह रहे थे, लेकिन मतदाता ने उनका अनुमान गलत साबित कर दिया और एनडीए को 200 सीटों के करीब पहुँचाकर यह दिखा दिया कि उनका विश्वास केवल गठबंधन पर नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता पर था।
इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका महागठबंधन को लगा। राजद का ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण पूरी तरह से धराशायी हो गया। खासकर सीमांचल के मुसलमानों ने राजद की बजाय AIMIM पर अपना भरोसा जताया, और इससे महागठबंधन की राजनीतिक ताकत कमजोर पड़ी। वहीं, ‘जन सुराज’ की हवा भी पूरी तरह से उड़ गई, जो पहले महागठबंधन का एक बड़ा चुनावी वादा था।
इस शानदार जीत के बाद, नीतीश कुमार रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं। अगर हम 2010 के विधानसभा चुनाव से तुलना करें, तो फर्क सिर्फ इतना है कि तब जदयू सबसे बड़ी पार्टी थी, जबकि इस बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 2010 में जदयू ने 115 सीटें जीती थीं और भाजपा ने 91 सीटें, जबकि इस बार दोनों पार्टियां 101 सीटों पर लड़ीं।
इस परिणाम ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार की राजनीति में विकास की राह पर आगे बढ़ने का संकल्प एनडीए के पक्ष में है, और महागठबंधन के पुराने समीकरणों को अब नए मोड़ की ज़रूरत है।