Bihar Vidhansabha Chunav 2025: जदयू नेता ने फूंका विद्रोह, निर्दलीय भरा पर्चा, नामांकन रद्द होने पर आमरण अनशन बैठे नेताजी को पुलिस ने लिया हिरासत में
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: निर्दलीय उम्मीदवार और जदयू नेता विश्वनाथ सिंह का नामांकन पत्र रद्द होने के बाद उन्होंने जिला अनुमंडल कार्यालय के समक्ष धरना देकर विरोध जताया। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर नवादा थाना भेज दिया।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: भोजपुर जिले की बड़हरा विधानसभा सीट पर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। निर्दलीय उम्मीदवार और जदयू नेता विश्वनाथ सिंह का नामांकन पत्र रद्द होने के बाद उन्होंने जिला अनुमंडल कार्यालय के समक्ष धरना देकर विरोध जताया। करीब एक घंटे तक शांतिपूर्ण धरने के बाद प्रशासन को स्थिति की जानकारी मिली, और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर नवादा थाना भेज दिया।
धरने के दौरान विश्वनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि उनका नामांकन पत्र पूरी तरह से वैध था, लेकिन राजनीतिक दबाव और प्रभाव के चलते इसे रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है। मेरे साथ अन्याय हुआ है। मैं बिहार के मुख्य चुनाव आयुक्त और उपचुनाव आयुक्त से निष्पक्ष जांच की मांग करता हूं।”
विश्वनाथ सिंह ने बताया कि वे सुबह से ही निर्वाचन कार्यालय में मौजूद थे। लेकिन शाम तीन बजे के बाद उन्हें अचानक सूचित किया गया कि उनका नामांकन रद्द कर दिया गया है। नाराजगी में उन्होंने आमरण अनशन शुरू किया और समर्थन में उनके समर्थक भी अनुमंडल कार्यालय पहुंच गए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना से न केवल बड़हरा विधानसभा सीट पर बल्कि पूरे भोजपुर जिले में सियासी हलचल बढ़ गई है। जदयू और अन्य दलों के बीच मतदाता और उम्मीदवारों में गहरी चिंता और चर्चा शुरू हो गई है। विरोध और हिरासत की यह घटना बिहार चुनावी राजनीति में निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी बन गई है।
स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल मामले पर कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है, लेकिन पुलिस की सक्रियता और समर्थकों की मौजूदगी ने इसे राजनीतिक सरगर्मी का केंद्र बना दिया है।
निर्वाचन आयोग की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विश्वनाथ सिंह के द्वारा उठाए गए निष्पक्ष जांच के मुद्दे ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव केवल पार्टियों के बीच ही नहीं, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के लिए भी राजनीतिक चुनौतीपूर्ण और तनावपूर्ण साबित हो रहे हैं। धरना और हिरासत की यह घटना अब चुनावी अखाड़े में सुर्खियों का विषय बनी हुई है और आने वाले दिनों में इसकी प्रतिध्वनि और भी बढ़ सकती है।
रिपोर्ट- आशीष कुमार