Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मोकामा बना सियासत का सबसे गर्म मैदान, बिहार में बाहुबलियों की सीटों पर रिकॉर्ड मतदान, किसके सिर पर सजेगा ताज

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बाहुबलियों की सीटें हाई-वोल्टेज सेंटर बनी हैं।मोकामा से अनंत सिंह की सीट पर64 फीसदी वोटिंग हुई।....

Mokama hottest battlefield
मोकामा बना सियासत का सबसे गर्म मैदान- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर हुए मतदान ने रफ़्तार पकड़ ली है। मोकामा में 64 फीसदी वोटिंग दर्ज हुई। बूथों पर लगातार बढ़ती भीड़ यह संकेत दे रही थी कि इस बार बिहार का मतदाता नया इतिहास लिखने के मूड में है। मतदान का पैटर्न साफ़ कह रहा है जनता चुप नहीं, बल्कि पुरज़ोर तरीके से अपनी आवाज़ दर्ज कर रही है।

पहले चरण की इन सीटों पर कई बड़े नाम और बाहुबली उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है। अनंत सिंह, सूरजभान सिंह, रीतलाल यादव, हुलास पांडेय, ओसामा, शिवानी शुक्ला जैसे नाम इस चरण की सबसे चर्चित फेहरिस्त में शामिल रहे। हैरान करने वाली बात यह है कि बाहुबलियों के प्रभाव वाले इलाक़ों में भी ज़बर्दस्त मतदान देखने को मिल रहा है।

बाहुबलियों की सीटें  हाई-वोल्टेज सेंटर बनी हैं।मोकामा से अनंत सिंह की सीट पर64 फीसदी वोटिंग हुई।मोकामा इस बार पूरे बिहार का सबसे चर्चित राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। दुलारचंद यादव की हत्या, अनंत सिंह पर आरोप, गिरफ्तारी, और फिर जेल से चुनावी समीकरण इन घटनाओं ने इस सीट को न सिर्फ सुर्खियों में ला दिया, बल्कि समाजिक ध्रुवीकरण भी गहरा कर दिया है।

तारतर गांव में यादव और धानुक जाति का प्रभाव है, और दुलारचंद यादव की हत्या के बाद यहाँ माहौल और गरम हो चुका है। यह भी दिलचस्प है कि दुलारचंद यादव कई वर्षों से बाढ़ में रह रहे थे, लेकिन इलाके में उनकी पकड़ मज़बूत थी। हत्या के बाद स्थिति बदली, नाराज़गी बढ़ी और उसका सीधा असर वोटिंग पैटर्न में दिखा।

अनंत सिंह पर लगे आरोपों और जेल जाने के बाद, मोकामा सीट मुकाबले का सबसे बड़ा मैदान बन गई है।अनंत सिंह पर सीट बचाने और साख बचाने की चुनौती है तो सूरजभान की पत्नी वीणा देवी और पीयूष प्रियदर्शी को बाहुबली के क़िले को भेदने की तैयारी है।मतदान के ज़बर्दस्त प्रतिशत ने साबित कर दिया कि जनता इस बार किसी दबाव, डर या प्रभाव में नहीं, बल्कि खुलकर वोट डाल रही है।

पहले चरण की धमाकेदार वोटिंग के बाद सवाल यह नहीं है कि मुकाबला कितना कड़ा है, बल्कि यह है कि बिहार की जनता बदलाव की इबारत लिख रही है या पुराने क़िले को मज़बूत कर रही है।

14 नवंबर को ईवीएम जब खुलेंगी, तो पता चलेगा मोकामा का ताज किसके सिर पर सजेगा और किसकी सियासत में भूचाल आएगा।