Bihar Vidhansabha Chunav 2025: एनडीए में सीट बंटवारे के ड्रामे की कुशवाहा से चिराग तक की कहानी, अमित शाह की मध्यस्थता ने ऐसे सुलझाई बिहार की सियासी गुत्थी
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी बिसात पर एनडीए का ड्रामा कुछ दिन पहले चरम पर था, लेकिन अब धीरे-धीरे कूटनीतिक मोलभाव और परदे के पीछे की वार्ता ने चीजें संतुलित कर दी हैं।..

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी बिसात पर एनडीए का ड्रामा कुछ दिन पहले चरम पर था, लेकिन अब धीरे-धीरे कूटनीतिक मोलभाव और परदे के पीछे की वार्ता ने चीजें संतुलित कर दी हैं। एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तो घोषित कर दिया गया था, लेकिन टिकट बांटने की बारी आते ही गठबंधन के घटक दलों में आपसी खींचतान खुलकर सामने आ गई। हालात ऐसे थे कि उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी को दूर करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीधे दिल्ली में हस्तक्षेप करना पड़ा।
एनडीए ने गठबंधन के सभी घटक दलों के लिए सीटें तय कर दी थीं, लेकिन उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही गठबंधन में जबरदस्त धमासान शुरू हो गया। सभी पार्टियों के बीच किसी न किसी सीट को लेकर मतभेद थे। खासकर जेडीयू और लोजपा के बीच टकराव सामने आया। जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने कोटे की सीटें चिराग पासवान के खाते में जाने पर एतराज था। जेडीयू सोनबरसा, राजगीर, एकमा और मोरवा सीट देने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन चिराग ने इन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को सिंबल थमा दिया।
बीजेपी ने दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन जेडीयू ने केवल अपने कोटे की दो सीटें छोड़कर बाकी पर डटा रही। तारापुर और तेघड़ा जैसी सीटें भाजपा को मिलीं, जबकि तारापुर से डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बदले जेडीयू ने कहलगांव की सीट ले ली। जेडीयू ने कुल 101 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें सोनबरसा, एकमा, राजगीर और हिल्सा जैसी सीटें शामिल थीं, जो पहले लोजपा के कोटे में थीं।
चिराग पासवान को 29 सीटें देने से गठबंधन में नाराजगी पैदा हुई। जेडीयू, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा नाराज थे। जेडीयू की नाराजगी की वजह से लोजपा की कई हॉट सीटें उनके हाथ से निकल गईं। इसी बीच भाजपा ने भी अपने प्रमुख क्षेत्रों में चिराग को उम्मीदवार नहीं दिया। हालांकि गोविंदगंज और ब्रह्मपुर दो सीटें भाजपा ने चिराग को दी।
उपेंद्र कुशवाहा अपने कोटे की महुआ सीट चिराग को दिए जाने से बेहद नाराज चल रहे थे। कुशवाहा ने अपने सभी उम्मीदवारों का सिंबल रोक दिया था। आनन-फानन में उन्हें दिल्ली बुलाकर अमित शाह ने लगभग 1 घंटे की मुलाकात में नाराजगी दूर की। इसके बाद कुशवाहा ने कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक है और बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी।
कुशवाहा ने बीजेपी को 20-22 सीटों की लिस्ट सौंपी, जिसमें बालपट्टी, मधुबनी, पारू, उजियारपुर, सासाराम, दिनारा जैसी सीटें शामिल थीं। हालांकि एनडीए ने फाइनल बंटवारा किया बीजेपी-101, जेडीयू-101, एलजेपी (चिराग)-29, आरएलएम (कुशवाहा)-6, हम (मांझी)-6।
कुशवाहा ने समर्थकों से भावुक अपील की “लाखों लोगों का मन दुखी है, कई घरों में खाना नहीं बना होगा। क्षमा चाहता हूं, लेकिन मेरी मांग 22 सीटों की नजरअंदाज की गई। इससे एनडीए को नुकसान हो सकता है।”
बहरहाल अमित शाह की मध्यस्थता और कुशवाहा को राज्यसभा व विधान परिषद की पेशकश ने एनडीए के भीतर असमंजस दूर किया। सीट बंटवारा फाइनल हुआ और गठबंधन की गुत्थी सुलझी, लेकिन यह ड्रामा बिहार की सियासी रंगत और गठबंधन की नाजुक संतुलन की कहानी को बखूबी उजागर करता है।