Bihar Vidhansabha chunav 2025: एनडीए ने खोला चुनावी पिटारा, जेडीयू-बीजेपी में सीटों की बराबरी, छोटे सहयोगियों को भी मिली हिस्सेदारी, बिहार में सियासत का रंग हुआ और गाढ़ा, देख लीजिए लिस्ट

Bihar Vidhansabha chunav 2025: एनडीए के पांच घटक दलों जनता दल यूनाइटेड, भाजपा, लोक जनशक्ति पार्टी (रा), हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) ने अपनी अपनी उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। ...

Bihar Vidhansabha chunav 2025
एनडीए ने खोला चुनावी पिटारा- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल अब पूरी तरह सियासी गर्मी से सराबोर हो चुका है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पांच घटक दलों — जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो)  ने अपनी-अपनी उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। इसके साथ ही गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे का समीकरण भी साफ हो गया है।

एनडीए में इस बार भाजपा और जेडीयू को बराबर-बराबर 101-101 सीटें मिली हैं। वहीं, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें, जीतनराम मांझी की ‘हम’ पार्टी को 6 और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 6 सीटें दी गई हैं। इस बंटवारे के साथ गठबंधन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि “सबको साथ, सबका सम्मान” की नीति पर ही वह आगे बढ़ेगा।भाजपा ने अपने हिस्से की 101 सीटों पर उम्मीदवारों की पूरी लिस्ट जारी कर दी है। इस सूची में पार्टी ने पुराने दिग्गजों के साथ नए चेहरों को भी मौका दिया है।

बेतिया से रेणु देवी, कटिहार से तारकिशोर प्रसाद, दरभंगा से संजय सरावगी, बांकीपुर से नितिन नवीन, दीघा से संजीव चौरसिया, गया से प्रेम कुमार और जमुई से श्रेयसी सिंह जैसे नाम पार्टी के विविध सामाजिक समीकरणों को दर्शाते हैं।पटना साहिब से रत्नेश कुशवाहा और तारापुर से सम्राट चौधरी के नाम भाजपा की संगठनात्मक मजबूती को भी उजागर करते हैं।भाजपा ने अपने टिकट वितरण में जातीय संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान रखते हुए एक ऐसा मिश्रण तैयार किया है जिसमें अनुभव, संगठन निष्ठा और स्थानीय जनाधार तीनों का संगम दिखाई देता है।

नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है।आलमनगर से नरेन्द्र नारायण यादव, बिहारीगंज से निरंजन मेहता, बेनीपुर से विनय चौधरी, बहादुरपुर से मदन सहनी, राजगीर से कौशल किशोर, हिलसा से कृष्ण मुरारी शरण, मोकामा से अनंत सिंह और फुलवारी से श्याम रजक जैसे नामों के जरिए जेडीयू ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।

नीतीश कुमार ने इस सूची के जरिए यह स्पष्ट संकेत दिया है कि उनकी राजनीति अब भी “विकास और सामाजिक न्याय” के संतुलन पर टिकी हुई है।दलित, अति पिछड़ा, महिला और अल्पसंख्यक वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देकर उन्होंने अपने पुराने सामाजिक समीकरणों को पुनर्जीवित करने की पहल की है।

चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 29 सीटों का कोटा मिला है, और उन्होंने 15 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।गोविंदगंज से राजू तिवारी, बख्तियारपुर से संजय सिंह, पालीगंज से सुनील कुमार और महुआ से संजय सिंह जैसे नाम लोजपा-आर की ‘युवा और संघर्षशील’ छवि को दर्शाते हैं।चिराग पासवान की कोशिश है कि पार्टी फिर से अपने पिता रामविलास पासवान के जनाधार को मजबूत करे और भूमिहार-दलित समीकरण के साथ मैदान में उतरे।

जीतनराम मांझी की हम पार्टी ने अपनी सभी 6 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं।इमामगंज से दीपा कुमारी, बाराचट्टी से ज्योति देवी और सिकंदरा से प्रफुल्ल मांझी जैसे नाम पार्टी की ‘दलित-आवाम की आवाज़’ वाली पहचान को सशक्त करते हैं।

वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो ने 4 सीटों की सूची जारी की है। मधुबनी से माधव आनंद और सासाराम से स्नेहलता को उम्मीदवार बनाकर कुशवाहा ने शिक्षा और सामाजिक न्याय के एजेंडे को आगे रखा है।

एनडीए की साझा लिस्ट के जारी होते ही बिहार की सियासत ने एक नया मोड़ ले लिया है।जहाँ भाजपा और जेडीयू ने सीटों की बराबरी के साथ आपसी सम्मान का संदेश दिया है, वहीं छोटे दलों को सीमित लेकिन सम्मानजनक जगह देकर गठबंधन ने यह दिखाने की कोशिश की है कि “एकता ही शक्ति” है।यह लिस्ट यह भी दर्शाती है कि एनडीए इस चुनाव को महज सत्ता संघर्ष नहीं, बल्कि ‘गठबंधन की गरिमा’ के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है।

नीतीश कुमार, जो गठबंधन के सबसे वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने उम्मीदवार चयन में सामाजिक ताने-बाने को बारीकी से बुना है। दूसरी ओर भाजपा ने संगठन की शक्ति और बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर भरोसा जताया है।चिराग, मांझी और कुशवाहा जैसे सहयोगी दलों ने अपनी-अपनी राजनीति को जीवंत बनाए रखने की रणनीति अपनाई है।

बिहार में एनडीए की लिस्ट जारी होते ही यह साफ हो गया है कि मुकाबला अब सीधा और निर्णायक होने जा रहा है। विपक्ष जहाँ गठबंधन के भीतर असंतोष और असमानता का मुद्दा उठाने की कोशिश करेगा, वहीं एनडीए इसे “एकजुटता की मिसाल” के रूप में पेश करेगा।राजनीतिक भाषा में कहें तो बिहार की ज़मीन अब फिर एक बार “इंतिख़ाब के रंग” से रौशन है  हर गली, हर नुक्कड़ पर अब इत्तेहाद (एकता), सियासत (राजनीति) और जद्दोजहद (संघर्ष) के नए किस्से लिखे जा रहे हैं।आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गठबंधन अपनी रियासत-ए-सियासत को कितनी मजबूती से संभाल पाता है और बिहार की जनता किसे अपने एतबार (विश्वास) का ताज पहनाती है।