Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मधेपुरा में मचा सियासी महाभारत, शरद यादव के बेटे से आधी रात को राजद ने सिंबल लिया वापस,चंद्रशेखर पर फिर से जताया भरोसा, टिकट बंटवारे पर फूट पड़ा समाजवादी कुनबा

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: राजद ने शरद यादव के बेटे शांतनु यादव को पहले टिकट देकर बाद में वापस ले लिया।...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मधेपुरा में मचा सियासी महाभार
शरद यादव के बेटे से राजद ने सिंबल लिया वापस- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मधेपुरा की धरती एक बार फिर सियासी उबाल पर है। कोसी की इस राजनीति में समाजवाद की विरासत रखने वाले बड़े घरानों वीपी मंडल के पोते का टिकट कटने से चुनावी तापमान बढ़ा हुआ है। एक ओर मंडल मसीहा वीपी मंडल के पोते निखिल मंडल को जदयू ने दरकिनार कर दिया, तो दूसरी ओर राजद ने शरद यादव के बेटे शांतनु यादव को पहले टिकट देकर बाद में वापस ले लिया।शांतनु यादव को रात के 11:30 बजे में बुलाकर टिकट प्रोफेसर चंद्रशेखर को दे दिया गया है इस तरह मधेपुरा का सियासी नाटक अब अपने चरम पर है, जहां रिश्ते, विरासत और वफादारी तीनों की परीक्षा हो रही है।

मधेपुरा का यह इलाका हमेशा से समाजवादी आंदोलन की प्रयोगशाला रहा है। वीपी मंडल, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने यहां की राजनीति को नई दिशा दी। यह इलाका कभी कांग्रेस के प्रभाव में रहा, फिर समाजवादी धारा ने इसे अपने रंग में रंग दिया। यहां हर चुनाव विचारधारा से ज़्यादा व्यक्तित्वों की टक्कर का मंच बनता रहा है।

राजनीतिक समीकरणों में इस बार सबसे बड़ा उलटफेर तब हुआ जब राजद ने शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला यादव को मधेपुरा विधानसभा सीट से सिंबल थमा दिया। वर्तमान विधायक डॉ. चंद्रशेखर यादव का टिकट काटे जाने की खबर से राजद खेमे में हलचल मच गई। लेकिन गुरुवार को पूरा परिदृश्य बदल गया हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ, और पार्टी ने शांतनु से सिंबल वापस लेकर फिर से चंद्रशेखर को प्रत्याशी बना दिया।

सियासी गलियारों में अब चर्चा है कि क्या यह निर्णय लालू यादव की रणनीति का हिस्सा है या फिर संगठन के भीतर की खींचतान का परिणाम। जानकारों का कहना है कि यह कदम राजद की “डैमेज कंट्रोल” नीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि स्थानीय नाराज़गी शांत रहे। वहीं, जदयू में निखिल मंडल का टिकट कटने से भी समर्थकों में असंतोष है।

मधेपुरा में यह संघर्ष अब सिर्फ सीट का नहीं, बल्कि समाजवाद बनाम यादव की वैचारिक जंग का रूप लेता दिख रहा है।राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह चुनाव तय करेगा कि कोसी का ताज किसके सिर पर सजता है।