Bihar Vidhansabha Chunav 2025: पहले चरण में सियासी बवंडर! नामांकन जांच में उड़ी कई दिग्गजों की उम्मीदें, मढ़ौरा बना संग्राम का केंद्र

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चिराग पासवान की लोजपा (रा), बसपा और जदयू के बागी उम्मीदवारों के नामांकन पत्र रद होने से कई नेताओं की किस्मत फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है।

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पहले चरण में सियासी बवंडर! - फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: विधानसभा चुनाव के पहले चरण में राजनीति का मंजर अब पूरी तरह से गरमा गया है। कुल 121 विधानसभा क्षेत्रों में हुए नामांकन की जांच शनिवार को पूरी हो गई, और इसके साथ ही कई सियासी खेमों में हड़कंप मच गया है। चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास), बसपा और जदयू के बागी उम्मीदवारों के नामांकन पत्र रद होने से कई नेताओं की किस्मत फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है।

भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा जारी सूची के मुताबिक अब तक कुल 467 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र निरस्त कर दिए गए हैं। पहले चरण में दाखिल हुए 1976 नामांकन पत्रों में से सिर्फ उतने ही वैध पाए गए हैं। अब सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है कि सोमवार यानी 20 अक्टूबर तक कौन उम्मीदवार अपना नाम वापस लेगा और कौन मैदान में डटा रहेगा।

सारण जिले की मढ़ौरा विधानसभा सीट से एनडीए को बड़ा झटका लगा है। भोजपुरी अभिनेत्री और लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार सीमा सिंह का नामांकन कागजी कमियों और तकनीकी खामियों के चलते रद हो गया है। इसी सीट से जदयू के बागी नेता और पूर्व जिलाध्यक्ष अल्ताफ आलम राजू, बसपा के आदित्य कुमार, और निर्दलीय विशाल कुमार के नामांकन भी खारिज कर दिए गए हैं।

राजू, जो पिछले चुनाव में जदयू से उम्मीदवार थे और दूसरे स्थान पर रहे थे, इस बार निर्दलीय के रूप में किस्मत आजमाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन नामांकन निरस्त होने के बाद उनका सियासी सफर इस चरण में थम गया है।

मढ़ौरा में अब कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं, और यह सीट अब राजनीतिक दांवपेंच का केंद्र बन गई है। एनडीए के लिए यह एक झटका माना जा रहा है, वहीं विपक्षी खेमे में इसे “राजनीतिक संयोग” के रूप में देखा जा रहा है।

सियासी विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनावी बिसात पर तकनीकी सावधानियों की चूक ने कई दिग्गजों को चित कर दिया है। जहां एक ओर दलों में “समीकरण साधने” की कोशिशें तेज हो गई हैं, वहीं जनता की नजर इस पर टिकी है कि नामांकन वापसी की अंतिम तारीख तक कौन-सा चेहरा मैदान से हटता है।

इस तरह पहले चरण की यह नामांकन प्रक्रिया राजनीति के अखाड़े में एक नए समीकरण की दस्तक दे रही है  जहां हर गलती, हर दस्तावेज़, और हर दांव का सियासी अर्थ अब पहले से कहीं ज़्यादा गहरा हो गया है।