Bihar Vidhansabha Chunav 2025: हमने नौकरी छोड़ी, ज़िंदगी झोंक दी, अब क्या बचा?” टिकट कटने पर फफक कर रोए राजद महासचिव गुफरान रशीद, बोले– अब पार्टी में नहीं रहूंगा

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: सियासी घमासान के बीच कई नेताओं की उम्मीदें टूट रही हैं, और कुछ के आंसू खुले मंच पर छलक पड़े हैं।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025
टिकट कटने पर फफक कर रोए राजद महासचिव - फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल अब पूरी तरह सियासी उबाल पर है। एक ओर एनडीए ने अपने सभी उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुनावी जंग का बिगुल फूंक दिया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। इस सियासी घमासान के बीच कई नेताओं की उम्मीदें टूट रही हैं, और कुछ के आंसू खुले मंच पर छलक पड़े हैं।

राजद के युवा प्रदेश महासचिव गुफरान रशीद का दर्द भी अब सबके सामने है। गोपालगंज के बरौली विधानसभा क्षेत्र से टिकट कटने के बाद गुफरान रशीद भावुक हो गए। उनमें आक्रोश और निराशा दोनों साफ दिखाई दे रहा था। आंसुओं में डूबे गुफरान ने कहा कि “हमने पार्टी के लिए जीवन समर्पित कर दिया, नौकरी नहीं ली, ज्वाइनिंग लेटर छोड़ दिया। अब उम्र निकल गई, अब हम कहां जाएं?”

गुफरान रशीद का यह बयान न केवल व्यक्तिगत पीड़ा का प्रतीक है, बल्कि यह राजद के भीतर चल रही नाराज़गी की भी झलक देता है। उन्होंने पार्टी पर यह आरोप लगाया कि असली कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है और बाहरी लोगों को टिकट देकर समर्पित कार्यकर्ताओं का अपमान किया जा रहा है। गुफरान ने कहा कि“हमने बरसों से पार्टी के लिए काम किया, लेकिन आज मेहनत का इनाम नहीं, तिरस्कार मिला है।”

राजद में टिकट वितरण को लेकर इस तरह की नाराज़गी पहली बार नहीं देखी जा रही। कई पुराने कार्यकर्ता और नेता खुद को दरकिनार किए जाने की शिकायत कर चुके हैं। यह स्थिति पार्टी के लिए चुनावी रणनीति के लिहाज से चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह असंतोष अंदर ही अंदर बढ़ता रहा, तो राजद को कुछ सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दूसरी ओर, गुफरान रशीद ने साफ कहा है कि वे अब राजद में नहीं रहेंगे, पर किसी दूसरी पार्टी में भी नहीं जाएंगे। उनके इस बयान को “दिल टूटा कार्यकर्ता” की पुकार के रूप में देखा जा रहा है। चुनावी मौसम में जब हर दल जीत के समीकरण गिन रहा है, तब गुफरान जैसे कार्यकर्ताओं की आंसुओं भरी नाराज़गी बिहार की राजनीति के उस दर्दनाक सच को उजागर करती है जहां वफादारी से ज़्यादा मायने रखता है सियासी समीकरण का संतुलन।