Bihar Election 2025: शरद यादव के बेटे के खिलाफ हुआ षड्यंत्र, मधेपुरा से तेजस्वी ने लिया सिंबल वापस तो खूब बरसे...
Bihar Election 2025: मधेपुरा से राजद ने पहले शरद यादव के बेटे शांतनु यादव को टिकट दिया लेकिन बाद में टिकट वापस ले लिया गया। वहीं इस घटनाक्रम पर शांतनु यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है...

Bihar Election 2025: मधेपुरा की धरती एक बार फिर सियासी उबाल पर है। शरद यादव के बेटे शांतनु यादव को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले राजद पार्टी का सिंबल दिया लेकिन देर रात उनसे सिंबल वापस ले लिया गया। जिससे सियासी तापमान हाई है। राजद ने सिंबल वापस लेकर एक बार फिर वर्तमान विधायक चंद्रशेखर सिंह को दे दिया है।
शांतनु यादव का छलका दर्द
टिकट वापस लेने के बाद शरद यादव के बेटे शांतनु यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। शांतनु यादव ने अपने खिलाफ राजनीति षड्यंत्र होने का आरोप लगाया है। शांतनु ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है तस्वीर में एक ओर उनके पिता शरद यादव तो दूसरी ओर वो खुद हैं वहीं तेजस्वी यादव बीच में हैं जिन्होंने शांतनु यादव के हाथ को ऊपर उठाया है। यह प्रतिकात्मक तस्वीर शरद यादव के चुनाव जीतने का संकेत दे रहा है। वहीं इसके साथ ही शांतनु ने लिखा है कि, "मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ। समाजवाद की हार हुई"।
मधेपुरा में बड़ा राजनीतिक फेरबदल
गौरतलब हो कि, मधेपुरा का यह इलाका हमेशा से समाजवादी आंदोलन की प्रयोगशाला रहा है। वीपी मंडल, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने यहां की राजनीति को नई दिशा दी। यह इलाका कभी कांग्रेस के प्रभाव में रहा, फिर समाजवादी धारा ने इसे अपने रंग में रंग दिया। यहां हर चुनाव विचारधारा से ज़्यादा व्यक्तित्वों की टक्कर का मंच बनता रहा है। राजनीतिक समीकरणों में इस बार सबसे बड़ा उलटफेर तब हुआ जब राजद ने शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला यादव को मधेपुरा विधानसभा सीट से सिंबल थमा दिया। वर्तमान विधायक डॉ. चंद्रशेखर यादव का टिकट काटे जाने की खबर से राजद खेमे में हलचल मच गई। लेकिन गुरुवार को पूरा परिदृश्य बदल गया हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ और पार्टी ने शांतनु से सिंबल वापस लेकर फिर से चंद्रशेखर को प्रत्याशी बना दिया।
लालू यादव की सियासी चाल?
सियासी गलियारों में अब चर्चा है कि क्या यह निर्णय लालू यादव की रणनीति का हिस्सा है या फिर संगठन के भीतर की खींचतान का परिणाम। जानकारों का कहना है कि यह कदम राजद की “डैमेज कंट्रोल” नीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि स्थानीय नाराज़गी शांत रहे। वहीं, जदयू में निखिल मंडल का टिकट कटने से भी समर्थकों में असंतोष है। मधेपुरा में यह संघर्ष अब सिर्फ सीट का नहीं, बल्कि समाजवाद बनाम यादव की वैचारिक जंग का रूप लेता दिख रहा है।राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह चुनाव तय करेगा कि कोसी का ताज किसके सिर पर सजता है।