Bihar Election 2025: तेजस्वी यादव ने जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार को यहां से दिया टिकट, उपचुनाव में मिली हार के बाद हुआ था भारी बवाल
Bihar Election 2025: तेजस्वी यादव ने जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार को एक बार फिर राजद का टिकट दिया है। उपचुनाव में अजीत कुमार को मिली हार के बाद तेजस्वी ने एक बार फिर उनपर भरोसा जताया है...

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है। एनडीए में जहां सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है तो वहीं महागठबंधन में अब तक सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनी है। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। महागठबंधन में टकराव भी साफ देखा जा रहा है। वहीं तेजस्वी यादव एक के प्रत्याशियों को सिंबल भी बांट रहे हैं। इसी कड़ी में तेजस्वी यादव ने राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत कुमार को एक बार फिर टिकट दिया है। अजीत कुमार बीजेपी के खिलाफ ताल ठोकेंगे।
अजीत कुमार को राजद से मिला टिकट
बता दें कि उपचुनाव में अजीत कुमार को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद खबरें आई कि जगदानंद सिंह पार्टी से नाराज हैं। उपचुनाव में बेटे की हुई हार के बाद जगदानंद सिंह पार्टी कार्यालय के बड़े से लेकर छोटे कार्यक्रमों तक से किनारा कर लिया था। जिसके बाद उन्होंने राजद का प्रदेश अध्यक्ष पद भी छोड़ दिया। वहीं अब तेजस्वी यादव ने एक बार फिर अजीत कुमार पर विश्वास जताते हुए रामगढ़ से सिबंल दिया है। इसके साथ ही तेजस्वी ने भभुआ से वीरेंद्र कुशवाहा, मोहनिया से श्वेता सुमन और चैनपुर से ब्रजकिशोर बिंद को राजद का सिंबल दिया है।
राजद का गढ़ था रामगढ़
गौरतलब हो कि बिहार विधानसभा के उपचुनाव में राजद के उम्मीदवार अजीत सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा था। रामगढ़ सीट पर उन्होंने न केवल हार देखी बल्कि तीसरे स्थान पर रहे। बता दें कि, अजीत सिंह, बिहार के कद्दावर नेता और राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र तथा बक्सर सांसद सुधाकर सिंह के भाई हैं। अजीत की जीत के लिए उनके पिता और भाई ने काफी सक्रियता दिखाई थी। इस हार को राजनीतिक रूप से जगदानंद और सुधाकर सिंह की हार के रूप में भी देखा जाने लगा था।
रामगढ़ जगदानंद सिंह के कब्जे में..
रामगढ़ शुरु से राजद का गढ़ रहा है। जहां उपचुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज किया था। जगदानंद सिंह ने 1985 में लोकदल के टिकट पर पहली बार रामगढ़ से चुनाव जीतकर विधायकी हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 2005 तक छह बार रामगढ़ का प्रतिनिधित्व किया। 2005 के उपचुनाव में भी वे विजयी रहे। साल 2009 में रामगढ़ सीट पर राजद ने अंबिका यादव को मैदान में उतारा, जिन्होंने जीत हासिल की। लेकिन 2015 में बीजेपी ने राजद से रामगढ़ छीन लिया और अशोक कुमार सिंह चुनाव जीत गए।
फिर किस्मत आजमाएंगे अजीत
वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने अंबिका यादव को हटाकर जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को टिकट दिया। इस फैसले से अंबिका यादव बागी हो गए और बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन दूसरे स्थान पर रहे। सुधाकर सिंह जीतकर विधानसभा पहुंचे। लोकसभा चुनाव 2024 में सुधाकर सिंह को पार्टी ने बक्सर से उतारा और उन्होंने बीजेपी के मिथिलेश तिवारी को हराकर सांसद बने। इसके बाद जगदानंद सिंह ने रामगढ़ की राजनीतिक विरासत छोटे बेटे अजीत सिंह के कंधों पर सौंप दी। हालांकि रामगढ़ की जनता ने अजीत सिंह को विधायकी का वारिस नहीं माना था। वहीं अब एक बार भी फिर अजीत सिंह रामगढ़ से चुनावी मैदान में हैं।
पटना से नरोत्तम की रिपोर्ट