Akshaya khanna dhurandhar: धुरंधर के FA9LA गाने का असली मतलब क्या है? इस सॉन्ग को अक्षय खन्ना के रहमान डकैत को क्यों बना दिया आइकॉनिक, जानें

Akshaya khanna dhurandhar: फिल्म धुरंधर के FA9LA गाने का असली अर्थ क्या है? रहमान डकैत के किरदार से इसका क्या संबंध है? जानें बहरीन के इस शब्द की उत्पत्ति, इतिहास और अक्षय खन्ना के एंट्री सॉन्ग का पूरा विश्लेषण।

Akshaya khanna dhurandhar
अक्षय खन्ना के किरदार ने काटा बवाल!- फोटो : social media

Akshaya khanna dhurandhar: फिल्म धुरंधर की चर्चा हर ओर है, लेकिन जितनी बातें इसके हीरो हमज़ा पर नहीं हो रहीं, उससे कहीं ज्यादा सुर्खियाँ बटोर रहे हैं अक्षय खन्ना, जिन्होंने रहमान डकैत के किरदार को एक रहस्यमय और डर पैदा करने वाला रंग दिया है। उनकी एंट्री के दौरान बजने वाला गाना FA9LA आज सोशल मीडिया पर ऐसा छाया है कि युवा इसकी धुन पर थिरक भी रहे हैं और इसके नाम के उच्चारण पर उलझ भी रहे हैं। कई लोग इसे फनला कह रहे हैं तो कुछ फा-नाइन-ला, जबकि इसका सही उच्चारण फ़स्ला है।

बहरीन से निकला यह हिप-हॉप ट्रैक भारत में वायरल हो चुका है और फिल्म में इसके इस्तेमाल ने रहमान डकैत के व्यक्तित्व को और भी रहस्यमय बना दिया है। दिलचस्प बात यह है कि FA9LA फिल्म के आधिकारिक ज्यूकबॉक्स में शामिल भी नहीं था, लेकिन दर्शकों की मांग इतनी तेज हुई कि रणवीर सिंह और मेकर्स को इसे अलग से रिलीज करना पड़ा।

FA9LA का असली उच्चारण

भाषाविद अजित वडनेरकर ने बड़े विस्तार से बताया है कि FA9LA का रूप भले ही रोमन दिखाई देता हो, लेकिन यह दरअसल अरबी के एक विशेष अक्षर "साद" (ص) का प्रतिनिधित्व करता है।अरबी चैटिंग में युवा ‘साद’ की ध्वनि को दिखाने के लिए अंक 9 का उपयोग करते हैं, क्योंकि 'S' या हिंदी का 'स' उस भारी, मजबूत ध्वनि को व्यक्त नहीं कर पाता। इसलिए लिखा गया FA9LA लेकिन पढ़ा जाता है फ़स्ला (Faṣlah / فصلة) यह केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक मूड, एक मनोस्थिति, एक ऊर्जा का उबाल है, जो किसी व्यक्ति को सामान्य दुनिया से कटकर अपनी ही रफ्तार में जीता हुआ दिखाता है।

बहरीन के स्लैंग में ‘फस्ला’ का मतलब

बहरीन में ‘फ़स्ला’ का अर्थ है एक ऐसा इंसान जिसका दिमाग तेज उत्तेजना, जुनून और अराजक ऊर्जा से भरा हो। वह तय नियमों में नहीं बंधता, उसका मानसिक बैलेंस सामान्य लोगों से अलग होता है।यही कारण है कि फिल्म में जब रहमान डकैत की एंट्री होती है, उसकी चाल, उसका सूनापन, उसके चेहरे की कड़क अभिव्यक्ति, हर चीज़ दर्शाती है कि वह ‘फ़स्ला’ मोड में है. यानी वह दुनिया से अलग अपने ही कानून पर चलता है। यह गीत उसकी मानसिकता का विस्तार बन जाता है—उसकी बगावत, उसकी अनियंत्रित ऊर्जा और उसकी प्रवृत्ति को शब्द देता है।गीत में बार-बार आने वाली पंक्ति “अना फ़स्ला” यानी “मैं फ़स्ला हूं” उसके व्यक्तित्व की घोषणा है।

फ़स्ला, फ़सल, फ़ैसला, फ़ासला सब एक ही मूल शब्द से कैसे जुड़े हैं?

अरबी का मूल धातु फ़ा–साद–लाम (ف-ص-ل) जिसका अर्थ है काटना, अलग करना, विभाजित करना या दो चीजों के बीच अंतर पैदा करना। इसी धातु से बने शब्द 

फ़सल — खेत में उगाया हुआ वह हिस्सा जो बाकी से अलग कर लिया गया।

फ़ासला — दो चीजों के बीच दूरी।

फ़ैसला — सही-गलत को अलग करना।

फ़स्ल — एक मौसम या समय का अलग हिस्सा।

फ़स्ला — मानसिक दुनिया से कटना या सामान्य चेतना से अलग होना

यह भाषा की वही यात्रा है जो शब्दों को मानव जीवन के हर स्तर से जोड़ देती है—खेती से लेकर भावनाओं तक।