Bihar Flood: गुरु को गोविंद का स्थान प्राप्त है. लेकिन सूबे में शिक्षकों की स्थिति क्या है ये वायरल वीडियो से साफ पता चलता है.जनगणना हो, सर्वे हो शिक्षक तैयार हैं काम कराने के लिए. कक्षाओं की तैयारी, पाठ्यक्रम का पालन, छात्रों की परीक्षा लेना और मूल्यांकन के अलावा उन्हें प्रशासनिक कार्यों जैसे कि रिपोर्ट तैयार करना, उपस्थिति दर्ज करना और अन्य दस्तावेजीकरण भी करना होता है. चूके तो सोंटा बरसाने के लिए उपर अधिकारी बैठे हैं. दरभंगा का पूर्वी इलाका बाढ़ के पानी की मार झेल रहा है.जमालपुर के भूभौल गांव में देर रात कोसी के तटबंध के टूटने के बाद दर्जनो गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है जिससे ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित हो गया है. एक तरफ लोग अपना आशियाना छोड़कर सुरक्षित स्थान की तलाश कर रहे हैं. वहीं यहां के शिक्षकों की स्थिति है कि भले हीं जान चली जाए लेकिन वे अपने काम को अंजाम देने में चूक नहीं रहे हैं.
बाढ़ ग्रस्त इलाके के तिकेश्वरस्थान थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर मूल्यांकन करने अपने स्कूल निकल पड़े है. मूल्यांकन कार्य मे लगे शिक्षक अपने माथे पर जांचने वाली कॉपी और हाथों में अपने चप्पल जूते और कंधे पर अपना बैंग टांगकर जान को जोखिम में डालते हुए अपने ड्यूटी का पालन कर रहे हैं.
शिक्षकों में विभाग के अधिकारियों का खौफ इतना है कि कमर से उपर तक पानी में चल कर माथे पर मूल्यांकन वाली कॉपी को रखकर स्कूल जा रहे हैं.
मास्टर साहब को स्कूल जाते वक्त नही पता था कि स्कूल में बैठने के जगह भी सुरक्षित नहीं है. स्कूल बाढ़ के पानी से लबालब भरा हुआ है, लेकिन मास्टर साहब को ड्यूटि तो बजानी है तो जान की परवाह किए बिना हाथ में पनही सिर पर मूल्यांकन की कॉपी लिए विद्यालय की ओर निकल पड़े हैं. एक शिक्षक की बाढ़ में मौत के बाद प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागा और 176 स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी हुआ. सवाल है इस आपदा में क्या प्रशासनिक अधिकारियों के पास इतना भी समय नहीं है कि वे बाढ़ग्रस्त स्कूलों के लिए समय पर निर्णय लें सकें.
रिपोर्ट-वरुण ठाकुर