Pitra Paksha fair 2024: गया में 17 सितंबर से शुरू हुआ 17 दिवसीय पितृपक्ष मेला 3 अक्टूबर 2024 को खत्म हो गया है। इस बार मेले में लगभग 22 लाख तीर्थयात्री अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए आए, जिनमें 25 विदेशी श्रद्धालु भी शामिल थे। यह संख्या अब तक के इतिहास में सबसे अधिक रही है, जिससे यह मेला रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
22 लाख तीर्थयात्रियों का आगमन
इस साल गया में पितृपक्ष मेले में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या अब तक की सबसे बड़ी संख्या रही। जिला प्रशासन ने दावा किया कि तीर्थयात्रियों की इस अभूतपूर्व संख्या के कारण शहर में लगभग 20 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। इस मेले से पंडा, ब्राह्मण, होटल, टैक्सी, ई-रिक्शा, गेस्ट हाउस, लॉज, बर्तन विक्रेता, वस्त्र विक्रेता और पूजन सामग्री के व्यापारियों को खासा लाभ हुआ है।
गया के होटल कारोबार में उछाल
गया होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष और विभिन्न होटल कारोबारियों ने कहा कि इस वर्ष का पितृपक्ष मेला होटल उद्योग के लिए अत्यंत लाभकारी रहा। गया और आसपास के लगभग 60 होटल पूरी तरह से भरे रहे। होटल कारोबारियों के अनुसार, हर होटल में सभी कमरे बुक थे और रूम की कमी बनी रही। एक सामान्य कमरे की कीमत 3 हजार से 4.5 हजार रुपए तक थी। इसके अलावा, डेढ़ लाख यात्री टेंट सिटी में भी ठहरे।
कैसी रही बर्तन और पूजन सामग्री की बिक्री
मेले के दौरान बर्तन विक्रेताओं और पूजन सामग्री विक्रेताओं ने भी अच्छी कमाई की। बर्तन विक्रेताओं ने बताया कि तीर्थयात्रियों ने 5 बर्तनों के सेट (थाली, लोटा, गिलास, कटोरी, चम्मच) को 300 से 600 रुपए में खरीदा। साथ ही, पूजन सामग्री की मांग भी अधिक रही। पूजन सामग्री जैसे जौ का आटा, पान पत्ता, धूप, मिट्टी के दीपक, अगरबत्ती, जनेऊ, तिल, चावल, रोली, रुई, घी आदि की बिक्री में भी तेज़ी देखी गई।
पितृपक्ष मेला में विदेशी श्रद्धालुओं की भागीदारी
इस बार पितृपक्ष मेले में 25 विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हुए, जो 9 देशों से अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए आए थे। इन श्रद्धालुओं ने एक दिनी श्राद्ध कर्मकांड पूरा किया और फल्गु, विष्णुपद व अक्षयवट वेदी पर पिंड चढ़ाकर अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए प्रार्थना की।
प्रशासन की ओर से सेवाएं
मेले के दौरान, जिला प्रशासन ने नगर निगम, पर्यटन विभाग, और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों की ओर से तीर्थयात्रियों को 20 करोड़ रुपए की बुनियादी और उच्च स्तरीय सुविधाएं प्रदान कीं। प्रशासन का उद्देश्य था कि यात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और वे आराम से अपने धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।