Success Story: चूल्हा-चौका से लखपति बनने तक का सफर! संध्या देवी की कहानी करेगी आपको हैरान

संध्या देवी झारखंड के पलामू जिले की रहने वाली हैं। पहले वह एक साधारण गृहिणी थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक सफल व्यवसायी बन गईं। आज उनकी मासिक आय लाखों में है। अब उन्हें 'लखपति दीदी' के नाम से जाना जाता है।

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झारखंड के पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड की संध्या देवी की कहानी संघर्ष, साहस और सफलता की मिसाल है। कभी खाना बनाने और सिलाई जैसे छोटे-मोटे काम तक सीमित रहने वाली संध्या देवी आज एक सफल व्यवसायी बन गई हैं। उनकी महीने की आय लाखों में पहुंच गई है और अब लोग उन्हें 'लखपति दीदी' के नाम से जानते हैं।


संध्या देवी एक साधारण गृहिणी थीं। उनके पति एक हल्के वाणिज्यिक वाहन चालक थे और पूरे परिवार का खर्च उनकी कमाई पर निर्भर था। आमदनी इतनी नहीं थी कि घर का खर्च आराम से चल सके। लेकिन संध्या देवी ने अपनी किस्मत खुद लिखने का फैसला किया। जब उन्हें पार्वती सखी मंडल के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इससे जुड़ने का फैसला किया। यहां उन्हें बचत और आजीविका गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी।


2018-19 में संध्या देवी के समूह में स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) की शुरुआत हुई। उन्होंने इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण लिया और खुद का कारोबार शुरू करने का फैसला किया। चूंकि वह पहले से सिलाई जानती थी, इसलिए उसने रेडीमेड गारमेंट की दुकान खोलने का सोचा। इसके लिए उसने 50 हजार रुपये का लोन लिया और अपने स्वयं सहायता समूह से भी 50 हजार रुपये का लोन लिया और दुकान शुरू कर दी। काम बढ़ने पर उसने बैंक से डेढ़ लाख रुपये का लोन लिया और शादी का सामान भी बेचना शुरू कर दिया। अब वह दिल्ली और रांची से सामान मंगवाने लगी। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और उसकी दुकान एक सफल व्यवसाय में बदल गई। 

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आज संध्या देवी रोजाना 3 से 4 हजार रुपये कमा रही हैं। उनकी महीने की आय एक लाख रुपये से ज्यादा हो गई है। इस काम में उनके पति और बेटा भी उनकी मदद करते हैं। पहले घर चलाना मुश्किल था, अब वह आत्मनिर्भर हो गई हैं। संध्या देवी कहती हैं कि ट्रेनिंग के दौरान उनका सपना बड़ी दुकान खोलने का था। आज वह सपना साकार हो गया है। अगर वह स्वयं सहायता समूह से नहीं जुड़ती और प्रशिक्षण नहीं लेती तो यह सफलता उसके लिए बहुत मुश्किल होती। एसवीईपी परियोजना और ऋण की मदद से उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई।


आज संध्या देवी न सिर्फ खुद सफल हैं, बल्कि इलाके की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। वह उन महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा नहीं मिल पाती। उनकी कहानी साबित करती है कि अगर हिम्मत और मेहनत हो तो कोई भी महिला अपनी किस्मत बदल सकती है। रसोई तक ही सीमित रहने वाली संध्या देवी ने दिखा दिया है कि अगर सही मौका मिले और लगन हो तो कोई भी लखपति बन सकता है।