झारखंड में जमीन के म्यूटेशन को लेकर किसानों और जमीन मालिकों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार की ओर से ऑनलाइन म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) की प्रक्रिया को सरल बनाने के दावे किए गए, लेकिन हकीकत इसके उलट है। स्थिति यह है कि हजारों किसान अपनी ही जमीन के म्यूटेशन के लिए महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। राज्य सरकार ने जमीन खरीदने के बाद म्यूटेशन करने के लिए सुओ-मोटो म्यूटेशन सिस्टम शुरू किया था। इस सिस्टम के तहत जमीन की रजिस्ट्री होते ही म्यूटेशन की प्रक्रिया स्वतः शुरू हो जानी थी। लेकिन, यह सिस्टम फेल होता दिख रहा है। जमीन खरीदने के बाद भी किसानों को संबंधित अंचल कार्यालयों में भटकना पड़ रहा है। कई जगहों पर कर्मचारियों द्वारा जानबूझकर फाइलें रोकी जा रही हैं और किसानों से बार-बार हार्ड कॉपी जमा करने या जमीन का भौतिक सत्यापन कराने को कहा जा रहा है।
राज्य में म्यूटेशन से जुड़ी समस्याएं इतनी गंभीर हो गई हैं कि फिलहाल 84 हजार से अधिक मामलों का निपटारा नहीं हो पाया है। इसके कारण किसानों को न तो अपनी जमीन के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेज मिल पा रहे हैं और न ही वे अपनी जमीन का सही तरीके से उपयोग कर पा रहे हैं। किसानों की परेशानी सिर्फ म्यूटेशन तक ही सीमित नहीं है। सरकार द्वारा सड़क, पुल और अन्य विकास कार्यों के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा भी समय पर नहीं दिया जा रहा है। कई किसानों को बहुत कम मुआवजा दिया गया है, जबकि कुछ मामलों में भुगतान अटका हुआ है। इसके कारण कई किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं और कानूनी कार्रवाई की नौबत आ गई है।
झारखंड के कई जिलों में खास महाल की जमीन पर बसे हजारों लोग वर्षों से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि उनकी जमीन को फ्रीहोल्ड (मालिकाना हक) में तब्दील कर दिया जाए। सरकार ने इसके लिए नीति बनाने की बात कही थी, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है। फ्रीहोल्ड प्रक्रिया नहीं होने के कारण हजारों लोग न तो अपनी जमीन का निबंधन करा पा रहे हैं और न ही उस पर किसी तरह का कानूनी दावा कर पा रहे हैं।
राजस्व मंत्री ने दिया था आदेश, फिर भी नहीं दिख रहा असर झारखंड के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने सभी अंचलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि अगर कोई म्यूटेशन रद्द होता है तो उसका स्पष्ट कारण 50 शब्दों में बताना होगा। इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा आदेश की अनदेखी की जा रही है और म्यूटेशन के मामले लंबित हैं।