Health: डायबिटीज के जानिए डॉ वेद प्रकाश से लक्षण, कारण, बचाव और इलाज
Health:मधुमेह एक दीर्घकालिक चयापचय विकार है, जिसमें शरीर की अग्न्याशय ग्रंथि द्वारा इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन घट या बंद हो जाता है, अथवा शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है।...

Health:मधुमेह एक दीर्घकालिक चयापचय विकार है, जिसमें शरीर की अग्न्याशय ग्रंथि द्वारा इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन घट या बंद हो जाता है, अथवा शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। इसका परिणाम यह होता है कि ग्लूकोज का स्तर रक्त में अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे अनेक अंगों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।आईजीआईएमएस के इंडो क्रोनोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश के अनुसार मधुमेह टाइप-1 डायबिटीज में एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें प्रतिरक्षा तंत्र गलती से इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इसका कारण जेनेटिक व वायरल संक्रमण माना जाता है। वही टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है, लेकिन उसका उपयोग प्रभावी रूप से नहीं कर पाता। इसका कारण मोटापा, खराब जीवनशैली, आनुवंशिकता को माना जाता है।
आईजीआईएमएस के इंडो क्रोनोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश के अनुसार अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र त्याग, अत्यधिक भूख लगना, वजन कम होना, थकावट, धुंधली दृष्टि, बार-बार संक्रमण होना इसके लक्ष्णों में माना जाता है। डॉ वेद के अनुसार गंभीर मामलों में बेहोशी, भ्रम, दौरे, कीटोएसिडोसिस भी देखा गया है।
आईजीआईएमएस के इंडो क्रोनोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश के अनुसार कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ, सीमित कार्बोहाइड्रेट, समय पर संतुलित भोजन, शारीरिक व्यायाम यानी नियमित योग, वॉक या एक्सरसाइज से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।
डॉ वेद के अनुसार डायबिटिक रेटिनोपैथी से अंधेपन का खतरा रहता है तो न्यूरोपैथी से हाथ-पैरों में झनझनाहट रहती है। वहीं नेफ्रोपैथी से किडनी फेल्योर तो डायबेटिक फुट से संक्रमण और गैंग्रीन का खतरा रहता है। शुगर आपके मन को भी प्रभावित करता है।डॉ वेद ने बताया कि संतुलित आहार, नियमित जांच, तनाव प्रबंधन,मोटापे से बचना, धूम्रपान व शराब का परित्याग कर बहुत हद तक शुगर से बचा जा सकता है।
बहरहाल आईजीआईएमएस के इंडो क्रोनोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश के अनुसार डायबिटीज एक जीवनभर चलने वाली लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है। समय पर जांच, सही इलाज और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है और जटिलताओं से बचा जा सकता है।