Kavita: बचपन की जादुई दुनिया , स्मृतियों में बसी मासूमियत की काव्यगाथा

Kavita: मंजु कुमारी की यह कविता बचपन की मासूमियत, सरल खुशियों और भूली-बिसरी यादों का चित्रण है, जहाँ हर पल में जादू था, रिश्तों में मिठास थी, और दुनियादारी से परे बस आनंद ही आनंद था।...

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बचपन की जादुई दुनिया- फोटो : Meta

बचपन

सीपी जैसी दो आंखों में, सपनों की राजधानी थी,

बचपन में तो सारी दुनियां, एक जादू भरी कहानी थी।

अटकन बटकन दही चटाकन,कित-कित गोटी, झूला सावन,

रुठ गयी मईया की लोरी, सोंधी सी चूल्हे की रोटी।

क्षण में खटपट क्षण में यारी, अलग सी थी वो दुनियादारी,

लड़ने के कारण भूल गए हम, खुशी मिली तो फूल गए हम।

मन कच्चा यारी पक्की,आती मुझे खूब निभानी थी,

बचपन में तो सारी दुनियां , एक जादू भरी कहानी थी।

बाईस्कोप मलाई वर्फ के गोले, दशहरा, दिवाली के मेले,

पांच दस रूपए पाने को,जाने कितने पापड़ बेले।

कोयल से कू -कू की बाजी,हार जीत दोनों में राजी,

हर बाग बगीचे में सैर लगाना,घर में कामचोर कहलाना।

अपनी हर होशियारी में भी,भरी मीठी नादानी थी,

बचपन में तो सारी दुनियां, एक जादू भरी कहानी थी।

तितली उड़ते ताल तलैया, झुमका,पायल सखियां गुड़िया,

कहां खो गए बचपन की बातें, खेल खिलौने और दुपहरिया।

गर्मी छुट्टी में नानी के घर, वहां निकल जाते अपने पर,

आस-पास और घो -घो रानी,आम बागीचा पत्थर पानी।

मां के गुस्से से बचने का, एक तरीका नानी थी,

बचपन में तो सारी दुनियां, एक जादू भरी कहानी थी।

(कवयित्री मंजु कुमारी एक अत्यंत संवेदनशील, अनुभवी एवं सौंदर्यबोध सम्पन्न साहित्यकारा हैं, जिनका समस्त जीवन गुरुता के अनुशासन और सृजनशीलता की उजास से आलोकित रहा है। एक सेवानिवृत्त शिक्षिका के रूप में उन्होंने ज्ञान, मूल्य और संवेदना के अद्भुत संतुलन को जीवन में साधा है। उनकी काव्य-रचनाओं में समाज की चेतना, प्रकृति की मूक व्याकुलता तथा आत्मा की अंतःगर्भित अनुभूतियाँ अत्यंत सहज, किंतु गहन साहित्यिक अभिव्यक्ति में रूपायित होती हैं। मंजु कुमारी की कविता मात्र शब्दों का विन्यास नहीं, वरन् मानवीय अनुभूतियों की एक सूक्ष्म, सजीव और सशक्त शिल्पात्मक प्रस्तुति है।यह कविता बचपन की निश्छल दुनिया का चित्रण है, जहाँ सपनों, खेलों, त्योहारों और रिश्तों की मिठास थी। हर पल में जादू था, नादानी में भी मासूम हँसी थी। अब वो दौर यादों में बस एक सुनहरी कहानी बनकर रह गया है।...)