Pregnancy Health News: गर्भावस्था में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर बन सकते हैं खतरे की घंटी! जानें कैसे करें बचाव, क्या करें काम

Pregnancy Health News: गर्भावस्था में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर साबित हो सकता है।

Pregnancy Health News
प्रेग्नेंसी से जुड़ी जरूरी बात- फोटो : social media

Pregnancy Health News: गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक विशेष और संवेदनशील चरण होता है। इस समय शरीर में कई हार्मोनल और फिज़िकल बदलाव होते हैं, जिनका असर न केवल मां पर, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है। खासतौर पर जब महिला को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हों, तो यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों स्थितियों को अगर नजरअंदाज किया जाए, तो यह गंभीर गर्भावस्था जटिलताओं का कारण बन सकती हैं। लेकिन समय पर जांच, सही जीवनशैली और डॉक्टर की सलाह से इन जोखिमों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

 गर्भावस्था में डायबिटीज: क्यों है ये गंभीर?

गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज दो प्रकार की हो सकती है। पहले से मौजूद डायबिटीज (Type 1 या Type 2)। गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) – जो पहली बार गर्भावस्था के दौरान होती है। इस स्थिति में रक्त में ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिसका सीधा असर शिशु पर पड़ सकता है। विशेष रूप से शिशु का आकार सामान्य से अधिक हो सकता है, जिससे नॉर्मल डिलीवरी मुश्किल हो सकती है। जन्म के तुरंत बाद शिशु की शुगर गिर सकती है, जो खतरे की घंटी है। मां को प्रीमेच्योर डिलीवरी या हाई ब्लड प्रेशर का भी खतरा बढ़ जाता है। भविष्य में मां और बच्चे दोनों को Type 2 डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई डायट, दवाइयां और व्यायाम का पालन ज़रूरी है।

 प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर: प्रीक्लेम्प्सिया का कारण बन सकता है

गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर (BP) होना बेहद चिंताजनक हो सकता है। यह स्थिति अगर समय पर कंट्रोल न की जाए, तो प्रीक्लेम्प्सिया जैसी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसमें महिला को हाथ-पैरों में सूजन, सिरदर्द, धुंधला दिखना, चक्कर जैसी समस्याएं होती हैं।शरीर के अंगों को नुकसान पहुंच सकता है (जैसे किडनी या लीवर)।प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है, जिससे बच्चे की ग्रोथ रुक सकती है।समय से पहले प्रसव की संभावना बढ़ जाती है। इशके लिए  नियमित BP मॉनिटरिंग, नमक कम खाना, और तनावमुक्त जीवनशैली को अपनाना जरूरी है।

मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए क्या कदम जरूरी हैं?

विशेषज्ञों की सलाह मानें तो यदि महिला पहले से डायबिटीज या हाई बीपी की मरीज है या गर्भावस्था के दौरान पहली बार सामने आती है, तो इन बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है:

  1. नियमित डॉक्टर विज़िट: हर माह प्रेग्नेंसी चेकअप न छोड़ें
  2. ब्लड शुगर और BP की नियमित जांच
  3. डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन
  4. संतुलित आहार: कम मीठा, कम नमक और भरपूर फाइबर
  5. हल्का व्यायाम: वॉक, योग या प्रेग्नेंसी-सेफ स्ट्रेचिंग
  6. तनाव से दूरी: मेडिटेशन, संगीत, और परिवार का सहयोग
  7. नींद पूरी करें और खुद को हाइड्रेट रखें