Kidney inflammation symptoms: किडनी में सूजन के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, समय रहते पहचानना है जरूरी, नहीं तो पड़ जाएंगे फेरे में....
Kidney inflammation symptoms: किडनी हमारे शरीर की विषैले तत्वों को बाहर निकालने वाली महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन जब इसमें सूजन Nephritis या Pyelonephritis जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो यह पूरी बॉडी सिस्टम को प्रभावित कर सकती है।...

Kidney inflammation symptoms: किडनी हमारे शरीर की विषैले तत्वों को बाहर निकालने वाली महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन जब इसमें सूजन Nephritis या Pyelonephritis जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो यह पूरी बॉडी सिस्टम को प्रभावित कर सकती है। किडनी में सूजन के दौरान शरीर कई तरह के संकेत देता है, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित उपाध्याय का कहना है कि शरीर बीमारी का संकेत देता है, सबसे जरुरी है उसे समय पर पहचान लेना। किडनी में सूजन प्रमुख लक्षणों में बार-बार पेशाब आना,यह सबसे आम और शुरुआती लक्षणों में से एक है। दिन और रात बार-बार पेशाब जाना, खासकर बिना अधिक तरल पदार्थ पिए, किडनी में सूजन का संकेत हो सकता है।
पेशाब में रक्त या मवाद का दिखना
अगर पेशाब में खून की हल्की धारियां दिखें या उसमें मवाद जैसा सफेद पदार्थ नजर आए, तो यह संक्रमण और सूजन का सीधा संकेत हो सकता है।
पेशाब की गंध और रंग में बदलाव
सामान्यतः पेशाब का रंग हल्का पीला और गंधहीन होता है। यदि इसमें तेज़ गंध या गहरा रंग दिखे, तो यह किडनी फंक्शन में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है।
कमर या पीठ के निचले हिस्से में दर्द
सूजन के कारण कमर के दोनों तरफ या एक तरफ दर्द महसूस हो सकता है, जो उठते-बैठते समय बढ़ सकता है।
पैरों, टखनों या चेहरे पर सूजन
किडनी जब तरल पदार्थ को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती, तब शरीर में फ्लूइड रिटेंशन होने लगता है, जिससे सूजन हो जाती है।
मतली और उल्टी की शिकायत
टॉक्सिन्स जब शरीर से बाहर नहीं निकलते, तो पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जिससे मिचली और उल्टी जैसा अनुभव हो सकता है।आईजीआईएमस के यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रोहित उपाध्याय के अनुसार, "किसी भी बीमारी की शुरुआती पहचान और समय पर इलाज ही अंगों को क्षति से बचा सकता है।" इसलिए यदि ऊपर दिए गए लक्षण लगातार दिखाई दें, तो तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट या नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क कर जरूरी जांच जैसे यूरीन एनालिसिस, ब्लड यूरिया, क्रिएटिनिन लेवल आदि कराना जरूरी है।किडनी की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन इसका प्रभाव गहरा होता है। इसलिए सावधानी ही बचाव है।