Husband Threaten Wife : मेरठ सौरभ हत्याकांड के बाद खौफ में पति! 1 हफ्ते में बीवी से डरे-सहमे 7 लोग पहुंचे पुलिस स्टेशन, कहा- ‘साहब मुझे मेरी बीवी से बचाओ'
मेरठ कांड के बाद ग्वालियर में पतियों में डर का माहौल, 7 दिन में 7 पति पहुंचे थाने। पत्नियों और उनके बॉयफ्रेंड से प्रताड़ना और हत्या की धमकी की शिकायतें।

Gwalior men domestic violence: ग्वालियर में बीते कुछ दिनों में जो घटनाएं सामने आई हैं, वे समाज में हो रहे सामाजिक असंतुलन और बदलती पारिवारिक परिस्थितियों की भयावह तस्वीर पेश करती हैं। मेरठ में हुए ड्रम कांड के बाद, जहां एक महिला ने अपने पति को मारकर ड्रम में भर दिया था, अब ग्वालियर के पतियों में भय का माहौल है।
पिछले 7 दिनों में 7 पति महिला थाने और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत लेकर पहुंचे हैं। इन शिकायतों में कुछ पतियों ने अपनी पत्नी और उनके बॉयफ्रेंड द्वारा जान से मारने की धमकी देने, मारपीट करने और मानसिक प्रताड़ना देने के आरोप लगाए हैं।
अमित कुमार सेन – पत्नी के चार बॉयफ्रेंड, हत्या की धमकी
ग्वालियर के जनकपुरी निवासी अमित कुमार सेन का कहना है कि उसकी पत्नी के चार बॉयफ्रेंड हैं और वह अब राहुल बाथम नाम के व्यक्ति के साथ लिव-इन में रह रही है। जब उसने विरोध किया तो उसे मेरठ की तरह ड्रम में बंद कर मारने की धमकी दी गई। सुनवाई न होने पर वह सीएम पोस्टर के नीचे धरने पर बैठ गया।
अजय डागौर – पत्नी ने मांगे तलाक के बदले 5 लाख, बेटे से भी दूर किया
नगर निगम में कार्यरत अजय डागौर की पत्नी सोनिया राठौर ने ना सिर्फ बॉयफ्रेंड के साथ रहना शुरू कर दिया बल्कि बेटे को भी साथ ले गई। उसने तलाक के एवज में 5 लाख की डिमांड की और अजय को कई बार अपने प्रेमी से पिटवाया। पुलिस शिकायत पर उसे पारिवारिक मामला बताकर टाल दिया गया।
विशाल बत्रा – सास को वृद्धाश्रम भेजने की जिद, फिर मारपीट
विशाल बत्रा की पत्नी ने अपनी सास को वृद्धाश्रम भेजने की जिद की। विरोध करने पर मायके वालों को बुलाकर विशाल और उसकी मां की पिटाई की गई। यह घटना CCTV में कैद हुई है और पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की है।
पुलिस का रुख: “पतियों की शिकायतें अब गंभीरता से ली जा रही हैं”
डीएसपी किरण अहिरवार ने बताया कि हाल ही में पति-पत्नी के विवादों में पतियों द्वारा दी जा रही शिकायतें बेहद गंभीर हैं। पुलिस ने कहा कि जहां शिकायतें वाजिब और प्रमाणिक हैं, वहां तत्काल एफआईआर दर्ज की गई है।कुछ मामलों में काउंसलिंग के जरिए समाधान का प्रयास किया गया है।पिछले 1 साल में 1500 से अधिक केस थानों तक पहुंचे, जिनमें से 750 में सुलह हुई और 540 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।
क्या पुरुषों के अधिकारों की अनदेखी हो रही है?
अब समय आ गया है कि घरेलू हिंसा को केवल स्त्री केंद्रित मुद्दा न मानकर, लिंग-निरपेक्ष दृष्टिकोण से देखा जाए। सामाजिक जागरूकता की कमी, कानूनी संरक्षण की अपूर्णता और पुरुषों के लिए सीमित सहायता संसाधन आज एक नए संकट को जन्म दे रहे हैं।भारत में धारा 498A और दहेज अधिनियम जैसे कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने हैं, परंतु इसका गलत प्रयोग करके पुरुषों को फंसाने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं।