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Jobs In India: मेट्रो नहीं, अब ये टियर-2 शहर बन रहे हैं जॉब हब... जानिए कौन से शहर हैं टॉप पर

पहले युवाओं का रुझान बड़े शहरों में नौकरी करने का होता था लेकिन अब टियर-2 शहर भी रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर रहे हैं। टीमलीज की रिपोर्ट के अनुसार, गुड़गांव, कोयंबटूर, जयपुर, नागपुर और लखनऊ जैसे शहरों में जॉब क्रिएशन तेजी से बढ़ रहा है।

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job- फोटो : job

जहां एक समय युवाओं का सपना सिर्फ मेट्रो शहरों में जाकर बड़े पैकेज वाली नौकरी पाने का होता था, अब वही सोच धीरे-धीरे बदल रही है। छोटे और टियर-2 शहर तेजी से जॉब क्रिएशन के हॉटस्पॉट बनकर उभर रहे हैं। एक प्रमुख रिक्रूटमेंट और एचआर सर्विस कंपनी टीमलीज की रिपोर्ट के अनुसार, इन शहरों में बढ़ते व्यवसायों के कारण रोजगार के नए अवसर सामने आ रहे हैं।



कम लागत और नई संभावनाएं आकर्षित कर रहीं कंपनियों को

बड़े शहरों में व्यवसाय शुरू करने पर किराया, कच्चे माल की कीमत और अन्य खर्च अधिक होते हैं। वहीं, छोटे शहरों में इन लागतों में बड़ी बचत होती है। कम ऑपरेटिंग लागत और बेहतर टैलेंट के चलते कंपनियां अब टियर-2 शहरों का रुख कर रही हैं। इन शहरों में किफायती किराया, गुणवत्तापूर्ण वातावरण और अपेक्षाकृत सस्ती श्रमशक्ति उपलब्ध है। यही कारण है कि कई कंपनियां छोटे शहरों में अपने व्यवसाय का विस्तार कर रही हैं। नए उद्यमी भी इन शहरों को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि उनका निवेश कम जोखिम के साथ मुनाफा कमा सके।


जॉब ग्रोथ में आगे हैं ये टियर-2 शहर

टीमलीज की रिपोर्ट के मुताबिक, गुड़गांव, कोयंबटूर, जयपुर, नागपुर, और लखनऊ जैसे टियर-2 शहर मेट्रो शहरों के समान ही रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। इन शहरों में न केवल आईटी बल्कि रियल एस्टेट, एजुकेशन और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में भी तेजी से विकास हो रहा है।

कोयंबटूर: 24.6% जॉब ग्रोथ

गुड़गांव: 22.6% जॉब ग्रोथ

जयपुर: 20.3% जॉब ग्रोथ

लखनऊ: 18.5% जॉब ग्रोथ

नागपुर: 16.7% जॉब ग्रोथ


युवाओं को मिल रहे बेहतर विकल्प

जहां पहले युवाओं को मेट्रो शहरों में ही रोजगार के बेहतर अवसर मिलते थे, अब टियर-2 शहरों में भी वही संभावनाएं उपलब्ध हैं। कोयंबटूर और जयपुर जैसे शहर अब IT हब के रूप में उभर रहे हैं। छात्रों और प्रोफेशनल्स को इन शहरों में नौकरी के साथ-साथ रहने और काम करने का बेहतर माहौल मिल रहा है। यह बदलाव न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि मेट्रो शहरों पर पड़ने वाले दबाव को भी कम कर रहा है। कम लागत और बढ़ती संभावनाओं ने यह साबित कर दिया है कि छोटे शहर अब मेट्रो शहरों की तरह करियर निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। बेहतर अवसरों और सुविधाओं के कारण टियर-2 शहर आने वाले समय में रोजगार और व्यवसाय के नए केंद्र बन सकते हैं

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