5 फरवरी को गंगा स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे पीएम मोदी, कई जगहों का करेंगे दर्शन, जानें पूरा शेड्यूल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम में डुबकी लगाएंगे और अक्षयवट का दर्शन करेंगे। यह कुंभ 2025 का एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।

 5 फरवरी को गंगा स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे पीएम मोदी,
प्रयागराज पहुंचेंगे पीएम मोदी,- फोटो : social media

Ganga snan kumbh 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी 2025 को प्रयागराज के पावन संगम में डुबकी लगाकर कुंभ 2025 का पुण्य लाभ लेंगे। इस धार्मिक यात्रा के दौरान, वे बड़े हनुमानजी और किला स्थित अक्षयवट का दर्शन-पूजन भी करेंगे। यह आयोजन कुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों के बाद हो रहा है और प्रधानमंत्री की उपस्थिति इसे और भी खास बना रही है।

संगम स्नान: धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर स्नान करना हिंदू धर्म में अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दूसरा अवसर होगा जब वे कुंभ में संगम स्नान करेंगे। इससे पहले 2019 में भी उन्होंने कुंभ के समापन पर संगम में डुबकी लगाई थी और आम श्रद्धालुओं के लिए अक्षयवट का द्वार खोलने की घोषणा की थी।

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अक्षयवट: आध्यात्मिक धरोहर

अक्षयवट, जिसे 450 वर्षों बाद आमजनों के लिए खोला गया, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में इसके दर्शन के महत्व को रेखांकित किया था, और अब तक लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन कर चुके हैं। प्रधानमंत्री की इस यात्रा में अक्षयवट का दर्शन भी शामिल होगा, जो उनकी धार्मिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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यात्रा का कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से विशेष प्लेन से बमरौली एयरपोर्ट पहुंचेंगे, जहां से वे हेलीकॉप्टर द्वारा अरैल पहुंचेंगे। वहां से वे मिनी क्रूज के माध्यम से संगम स्थल पर जाएंगे। यह यात्रा लगभग साढ़े तीन घंटे की होगी, जिसमें वे गंगा स्नान और पूजन करेंगे।

मेला प्रशासन की तैयारी

प्रधानमंत्री की इस यात्रा को लेकर मेला प्रशासन पूरी तैयारी में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से निर्देश जारी होने के बाद शासन स्तर पर महत्वपूर्ण बैठकें हो रही हैं, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था और अन्य तैयारियों की रणनीति बनाई जा रही है।

कुंभ 2025 में धार्मिक समर्पण का प्रतीक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा न केवल उनकी धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करती है, बल्कि कुंभ 2025 के महत्व को भी उजागर करती है। उनकी उपस्थिति से इस धार्मिक आयोजन को एक विशेष पहचान मिलती है और आमजन के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती है।

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