justin Trudeau resign - भारत की विदेश में बड़ी कुटनीतिक जीत, खालिस्तान का समर्थन करनेवाले कनाडा पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा

justin Trudeau resign भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार खिलाफत करनेवाले कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को इस्तीफा देना पड़ा है। बताया जा रहा है भारत के खिलाफ बयान देने को लेकर उनकी ही पार्टी में विरोध शुरू हो गया था।

justin Trudeau resign - भारत की विदेश में बड़ी कुटनीतिक जीत,

N4N DESK  - भारत के खिलाफ जाकर खालिस्तानी नेताओं का समर्थन करना कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारी पड़ा है। लंबे समय से अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना कर रहे जस्टिन ट्रूडो ने इस्तीफा दे दिया है।   ट्रूडो का इस्तीफा भारत का विदेशों में बड़ी कुटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले कनाडा के एक अखबर ने ट्रूडो के इस्तीफे की खबर कनाडा के एक अखबार के हवाले से प्रकाशित की थी। जिसके अनुसार जस्टिन ट्रूडो अगले एक या दो दिनों के भीतर पद छोड़ सकते हैं। बताया गया कि  बुधवार को कनाडाई मंत्रियों की बैठक होनी है, उससे पहले ही ट्रूडो को ये घोषणा करनी है, इसलिए वो आज ही इस्तीफा दे सकते हैं। ट्रूडो ने 2013 में लिबरल नेता के रूप में पदभार संभाला था जब पार्टी गहरे संकट में थी और पहली बार हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरे स्थान पर आ गई थी।

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दरअसल ट्रूडो की लोकप्रियता में हाल के समय में भारी गिरावट आई है और उन्हें पार्टी के भीतर भी विरोध झेलना पड़ रहा है। उनकी पार्टी चुनाव से पहले हुए सर्वेक्षणों में उदारवादी कंजर्वेटिवों से बुरी तरह हार रही है।  विभिन्न सर्वे में दावा किया गया है कि आगामी चुनाव में पिएरे पोलिएवरे के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में आ सकती है। 

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खत्म हो चुके थे सारे विकल्प

पीएम ट्रूडो ने वित्त मंत्री डोमिनिक लेब्लांक के साथ चर्चा की है कि क्या वह अंतरिम नेता और प्रधानमंत्री का चेहरा दोनों हो सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अगर वो नेतृत्व के लिए योजना बनाते हैं तो यह अव्यवहारिक होगा। जिसके बाद अब ट्रूडो के पास अपनी सरकार बचाने के सारे विकल्प खत्म हो गए हैं।

भारत पर लगाया था आरोप

जस्टिन ट्रूडो की अपने ही देश में लोकप्रियता घटने का बड़ा कारण भारत के साथ उनके खराब संबंधों को माना जा रहा है। कनाडा में बड़ी आबादी भारतीयों की है। इसके बावजूद खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो सरकार ने इसमें भारत का हाथ बताया था, जिसके बाद भारत ने करारा जवाब दिया था। यहां तक की कनाडा के राजनयिक को भी भारत ने वापस भेज दिया था, जिसके बाद कनाडा ने भी ऐसा किया।

वहीं भारत के साथ खराब हो रहे संबंधों के कारण कनाडा के व्यापार पर भी प्रभाव पड़ रहा था। जिससे भी परेशानी होने लगी थी