PATNA: आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मुहर लगा दी। इस फैसले का फायदा सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में मिलेगा। 5 न्यायाधीशों की पीठ में 3 ने EWS रिर्जेवेशन पर सरकार के फैसले को संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन नहीं माना,जबकि दो जज इसके विरोध में थे। इस तरह से आगे भी आरक्षण जारी रहेगा। सुप्रीमकोर्ट से इडब्लूएस आरक्षण को बरकरार रखने के निर्णय से भाजपा काफी खुश है। बिहार बीजेपी के उपाध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद राधामोहन शर्मा ने मोदी सरकार की बड़ी जीत बताया है।
पूर्व विधान पार्षद ने फैसले का किया स्वागत
पूर्व विधान पार्षद राधामोहन शर्मा ने कहा कि EWS आरक्षण पर 'सुप्रीम कोर्ट' की मुहर से मोदी सरकार की बड़ी जीत हुई है. मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास के मूल मंत्र के साथ नव भारत के निर्माण के लिए संकल्पित है. आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्ण समाज को EWS आरक्षण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का बहुत-बहुत धन्यवाद। उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने देश के यशस्वी एवं सबका साथ सबका विकास के सार्थक प्रयास करने वाले नरेंद्र मोदी के निर्यण को सही ठहराया हैW. सुप्रीम कोर्ट के निर्यण का दिल से स्वागत हैं. साथ ही सभी गरीब सवर्ण भाइयो को मेरी तरफ से बधाई.
2019 में एनडीए सरकार ने EWS को दिया था 10 फीसदी आरक्षण
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए संविधान में 103वां संशोधन किया किया था। आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अभी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50% सीमा के भीतर ही है। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। CJI यूयू ललित, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस रवींद्र भट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने इस पर फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस और जस्टिस भट्ट ने EWS के खिलाफ रहे, जबकि जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पक्ष में फैसला सुनाया।