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बर्थडे स्पेशल: हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने जब ठुकरा दिया था तानाशाह हिटलर का ऑफर

बर्थडे स्पेशल: हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने जब ठुकरा दिया था तानाशाह हिटलर का ऑफर

News4nation desk- भारतीय फील्ड हॉकी के पूर्व कप्तान और खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह का आज 114 वां जन्मदिन है. आज भी विश्व हॉकी के सवश्रेठ खिलाड़ियों में उनकी गिनती होती है. ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में हुआ था. उनके पिता समेश्वर सिंह ब्रिटिश आर्मी में मुलाजिम थे और सेना के लिए हॉकी खेला करते थे। ध्यानचंद को हॉकी खेलने की प्रेरणा उनके पिता से मिली थी. उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से 'दद्दा' पुकारते थें. ध्यानचंद के जनदिन को भारत में 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मनाया जाता है. आज उनके जन्मदिन पर आपको बताएंगे उनसे जुड़ी कई ख़ास बातें..... 

ध्यानचंद को आज भी हॉकी का जादूगर 16 साल की उम्र में उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन की थी. 1956 में उन्हें भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। 56 साल की उम्र में वह मेजर रैंक तक पहुंच कर रिटायर हुए थे. 1922 से 1926 तक वो सेना के लिए हॉकी खेलते थे।

अपनी खेल करियर में उन्होंने 1000 से ज्यादा गोल किये हैं. 1928 में वह 23 साल की उम्र में पहली बार एम्सटर्डम ओलंपिक में हिस्सा लिया और यहाँ वह 14 गोल किए. वैसे तो उन्होंने भारत को कई बार जीत दिलाई पर सबसे यादगार जीत 1933 में बेईघटन कप फाइनल में कोलकाता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच हुए मैच को बताया जाता है. उन्होंने लगातार तीन ओलिंपिक खेलों 1928, 1932 और 1936 में भारत को गोल्ड मेडल दिलवाया.

ध्यानचंद के दो भाई रूप सिंह और मूल सिंह थे। रूप सिंह भी हॉकी के विश्व विख्यात खिलाड़ी रहे। 1932 के ओलिंपिक में हॉकी फाइनल में भारत ने अमेरिका को 24-1 से हराया था. बता दें कि इस मैच में ध्यान चंद ने 8 गोल किए और उनके छोटे भाई रूप सिंह ने 10 गोल किए.

1928 में उन्होंने एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजेलिस और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया और भारत को गोल्ड मेडल दिलाया. 1948 में 43 साल की उम्र में उन्होंने अंतरराट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया था. 

ध्यानचंद के खेल का जादू ऐसा था जिसने जर्मन तानाशाह हिटलर तक को अपना दीवाना बना दिया था. मेजर का खेल देखने बाद हिटलर ने उनको जर्मन सेना में पद ऑफर किया था ,जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. मेजर साहब ने हिटलर से बड़ी ही विनम्रता से कहा, 'मैं भारत का नमक खाया है. मैं भारतीय हूं और भारत के लिए ही खेलूंगा.' उस समय ध्यानचंद लांस नायक थे.

एक महान खिलाड़ी होने के बावजूद उन्हें आज तक भारत रत्न ने नहीं नवाजा गया. 1956 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उनका निधन 3 दिसम्बर, 1979 को 74 साल की उम्र में हुआ था. 


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