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पितृपक्ष का 14वां दिन: अकाल मृत्यु मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए वैतरणी तालाब में किया गया गौ दान

पितृपक्ष का 14वां दिन: अकाल मृत्यु मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए वैतरणी तालाब में किया गया गौ दान

GAYA: गया विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला का आज 14 वां दिन है। कल अमावस्या को 15 दिनों का यह पखवारा समाप्त हो जाता है। चतुर्दशी के दिन विष्णुपद पिंडदान क्षेत्र में स्थित वैतरणी तालाब के पास गया पाल ब्राह्मणों को गौ दान कर अपने पितरों की तरण-तारण के लिए विशेष महत्व है।

इस अवसर पर आज गया पाल ब्राह्मणों के समक्ष कई पिंडदानियों ने गौ दान किया और भवसागर पार कराने की मिन्नतें भगवान श्री विष्णु से की। इस संदर्भ में गया पाल ब्राह्मण गजाधर लाल कटरियार ने बताया कि वायु पुराण में इसकी चर्चा है। आज के दिन वैतरणी तालाब के पास ब्राह्मणों को गौ दान कर भवसागर पार कराया जाता है, जिससे उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि ब्रह्मा जी ने सबसे पहले यहां गौ दान किया था। गया पाल ब्राह्मण गजाधर लाल कटिरीयार ने यह भी बताया कि आज चतुर्दशी के दिन खासकर मारवाड़ी जातियों के लिए विशेष दिन है। वे यहां आज गौ दान करते हैं और अपने पितरों के तरण-तारण के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं। साथ ही गया पाल ब्राह्मणों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

वहीं गया पाल ब्राह्मण प्रमोद शास्त्री ने बताया कि जिनके पूर्वज की अकाल मृत्यु हो जाती है। उनको 84 लाख योनियों से गुजरना पड़ता है। उन्हें गौ दान कर गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी पार करायी जाती है, ताकि उनके पूर्वज यदि नरक में चले गए हों तो उससे उनकी मुक्ति हो जाती है। वैसे तो मान्यता यह भी है, की यदि पितृपक्ष के अंतराल में कोई भी व्यक्ति फल्गु नदी में पैर भी रख दिया तो उसके पूर्वजों की मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

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