NEWS4NATION DESK : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के एक फैसले से देश के 1700 एमबीबीएस डॉक्टरों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के पीजी डिप्लोमा इन क्लीनिक कॉर्डियोलॉजी को मान्यता देने से इंकार कर दिया है।
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने अपने फैसले में कहा है कि यह कोर्स पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीएमईआर)-2000 की अनुसूची में शामिल नहीं है। पहले बैच के उत्तीर्ण होने के बाद अनिवार्य रूप से होने वाली जांच इग्नू की ओर से नहीं कराई गई है।
बोर्ड ने कहा कि कोर्स मेडिकल क्षेत्र में उत्कृष्टता बढ़ाने के बजाय कार्डियोलॉजी विशेषज्ञता पर गलत धारणा बनाता है। इसलिए इसे आईएमसी एक्ट 1956 की पहली अनुसूची में शामिल नहीं कर सकते। बता दें पिछले साल एक याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीआई और स्वास्थ्य मंत्रालय को इस पर फैसला लेने को कहा था।
एससीआई के इस फैसले के बाद इससे डिप्लोमा करने वाले करीब 1700 एमबीबीएस डॉक्टरों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रशिक्षण के लिए इग्नू ने वर्ष 2006 में यह डिप्लोमा शुरू किया था, जो 2013 में बंद कर दिया गया था।
हालांकि स्कूल ऑफ हेल्त साइंस, इग्नू के निदेशक डॉ. टीके जेना ने कहा है कि अभी हमें औपचारिक रूप से एमसीआई से कोई जानकारी नहीं मिली है। एमसीआई से पत्र आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने अपना पक्ष रखेंगे।