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17वीं बिहार विधानसभा में स्पीकर को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने, वोट पड़े तो 51 साल बाद फिर दोहराया जाएगा इतिहास

17वीं बिहार विधानसभा में स्पीकर को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने, वोट पड़े तो 51 साल बाद फिर दोहराया जाएगा इतिहास

पटना... 17वीं बिहार विधानसभा के अध्यक्ष कौन होंगे, इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हो गया है। बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बनी और मतदान की नौबत आ गई। यह तीसरी बार ऐसा होगा कि विस अध्यक्ष पद के लिए बिहार विधानसभा चुनाव का गवाह बनेगा। एनडीए की ओर से विजय सिन्हा जबकि महागठबंधन से अवध बिहारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्यपाल फागू चौहान द्वारा बुधवार यानी 25 नवम्बर की तिथि निर्धारित है। आज सदन की कार्यवाही आरंभ होने तक यदि विपक्ष ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो मतदान से विधानसभा के नए अध्यक्ष का फैसला होगा। 

गौरतलब है कि इतिहास 51 साल बाद फिर दोहराया जाएगा। विजय कुमार सिन्हा और अवध बिहारी चौधरी में कौन अगला विस अध्यक्ष होगा, यह फैसला तो बुधवार यानी आज दोपहर साढ़े ग्यारह बजे के बाद होगा, लेकिन ऐसे दो फैसले सन् 1967 और 1969 में हो चुके हैं। तब भी पक्ष-विपक्ष के मतों के आधार पर सदन में अध्यक्ष पद पर निर्णय हुए थे। 

1967 और 1969 में विस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का इतिहास

बात 1967 की करें तो तब 16 मार्च को कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने अध्यक्ष का निर्वाचन कराया था। उन्होंने सदन को बताया था कि अध्यक्ष पद के लिए 9 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव की सूचना मिली है। सत्तापक्ष की ओर से छह प्रस्ताव थे, जिनमें एक का प्रस्ताव सच्चिदानंद सिंह की ओर से सदन में रखा गया। उन्होंने धनिक लाल मंडल का नाम अध्यक्ष पद के लिए सदन के सामने रखा। श्रीकृष्ण सिंह ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। विपक्ष की ओर से सनाथ राउत ने प्रस्ताव रखा कि विधानसभा के अध्यक्ष पद पर हरिहर प्रसाद सिंह चुने जाएं। किशोरी प्रसाद ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने सदन के समक्ष प्रश्न रखा-प्रश्न यह है कि धनिक लाल मंडल विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएं। उसके बाद सभा ‘हां’ और ‘ना’ में विभक्त हुई। ‘हां’ के पक्ष में 171 जबकि ‘ना’ के पक्ष में 126 सदस्यों ने मत दिया और सदन में प्रस्ताव स्वीकृत हो गया। धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। 

इसी प्रकार विस अध्यक्ष पद पर चुनाव की नौबत 11 मार्च, 1969 को आई। तब भी सदन में दो सदस्य जमालुद्दीन और बिंदेश्वरी दूबे ने तबतक अपनी सदस्यता की शपथ नहीं ली थी। कार्यकारी अध्यक्ष के पास विस अध्यक्ष पद के लिए कुल छह प्रस्ताव आए थे, जिनमें वापस होने पर दो रह जाने की वजह से चुनाव कराना पड़ा था। उस समय हरिहर प्रसाद सिंह ने रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया। वहीं कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया। रामानंद तिवारी ने भी इसका अनुमोदन किया, लेकिन सूची में नाम नहीं होने से उनका अनुमोदन स्वीकृत नहीं हुआ। उसके बाद मतदान हुआ और राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में 155 जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े। हरिहर प्रसाद सिंह और भोला पासवान शास्त्री ने राम नारायण मंडल को विस अध्यक्ष के आसन तक ससम्मान लाकर उसपर बिठाया।

सहमति बनी तभी टलेगा चुनाव 
विस अध्यक्ष पद पर दोनों ओर से नामांकन होने के बाद सदन में चुनाव तय है। हालांकि सर्वसम्मति बनी तो मतदान आरंभ होने के पूर्व कभी भी कोई एक पक्ष अपना प्रस्ताव वापस ले सकता है। जानकारी के मुताबिक प्रोटेम स्पीकर द्वारा चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव का प्रस्ताव सदन में पेश होगा। यदि दो उम्मीदवारों के प्रस्ताव वहां भी आए तो स्पीकर ध्वनि मत अथवा मत विभाजन द्वारा फैसला कराएंगे। 

आंकड़ों में एनडीए मजबूत 
अध्यक्ष पद पर जीत का आंकड़ा एनडीए के पक्ष में है। मतदान के दौरान मतों के विखराव को रोकने को लेकर दोनों घटक संजीदा हैं। मंगलवार को इसको लेकर दोनों ओर से बैठक कर रणनीति बनायी गयी और घटक दलों ने ह्विप भी जारी कर दिए हैं। इकलौते निर्दलीय सुमित कुमार सिंह और लोजपा के एक विधायक का भी मत भाजपा उम्मीदवार को मिलने के आसार हैं। वहीं, एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक अख्तरूल इमान ने बताया कि उनकी पार्टी की ओर से एनडीए और महागठबंधन को विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से करने का सुझाव दिया है। सदन में हर मसले पर टकराव व वोटिंग सही नहीं है।

विस में किसके पास कितने सीटें

एनडीए 
भाजपा : 74
जदयू : 43
हम : 04
वीआईपी : 04
कुल : 125 

महागठबंधन 
राजद : 75
कांग्रेस : 19
माले : 12
माकपा : 02
भाकपा : 02
कुल : 110

अन्य 
एआईएमआईएम : 5
बसपा : 1
निर्दलीय : 01
लोजपा : 1 


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