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हिमालयन वियाग्रा का व्यापार चीन की वजह से ठप, 20 लाख रुपए किलो बिकने वाले कीड़े का कोई खरीददार नहीं

 हिमालयन वियाग्रा का व्यापार चीन की वजह से ठप, 20 लाख रुपए किलो बिकने वाले कीड़े का कोई खरीददार नहीं

DESK: भारत और चीन की  सीमा पर हुये विवाद के बाद दोनों देशों के बीच का व्यापार भी ठप हो गया है.ऐसे में दुनिया की सबसे कीमती फंगस या यूं कहें कि कीड़ा जो बाजार में करीब 20 लाख रुपए प्रति किलो के दर से बिकता है, उसका कारोबार चौपट हो गया है. अब इसे कोई एक लाख रुपए प्रति किलो के दर से भी खरीदने नहीं आ रहा है. जबकि, इस कीड़े की सबसे ज्यादा जरूरत चीन को ही पड़ती है. इस कीड़े को  हिमालयन वियाग्रा कहते हैं. इसके अलावा इसे भारतीय हिमालयी क्षेत्र में कीड़ाजड़ी और यारशागुंबा के नाम से भी जाना जाता है. पिछले 15 सालों में हिमालयन वियाग्रा की उपलब्धता में 30 प्रतिशत की कमी आई है.

 जानकारी के मुताबिक मई से जुलाई महीने के बीच जब पहाड़ों पर बर्फ पिघलती है तो सरकार की ओर से अधिकृत 10-12 हजार स्थानीय ग्रामीण इसे निकालने वहां जाते हैं औऱ दो महीने इसे जमा करने के बाद इसे अलग-अलग जगहों पर दवाओं के लिए भेजा जाता है. वहां के स्थानीय लोग इसे कीड़ाजड़ी कहते हैं.यह नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि यह आधा कीड़ा और आधा जड़ी है. चीन और तिब्बत में इसे यारशागुंबा भी कहा जाता है. 

बता दें कि इस फंगस को निकालने का अधिकार पर्वतीय इलाके के वन पंचायत से जुड़े लोगों को ही  होता है. इस फंगस को निकालने का अधिकार पर्वतीय इलाके के वन पंचायत से जुड़े लोगों को होता है और उत्तराखंड में रजिस्टर्ड ठेकेदार हिमालयन वियाग्रा को 6-8 लाख रुपए प्रति किलो तक खरीद लेते हैं.  लेकिन इस बार इसे किसी ने एक लाख रुपए प्रति किलो के दर से भी नहीं खरीदा और इससे हिमालयन वियाग्रा के व्यवसाय को भारी नुकसान पहुंचा है. 

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