NEW DELHI : बिहार सहित हिंदी प्रदेशों के छात्रों पर अक्सर यह आरोप लगते हैं कि वह एजुकेशन लोन का पैसा समय पर बैंकों को नहीं चुकाते हैं, जिसके कारण बैंक भी छात्रों को लोन देने में आनाकानी करते हैं। लेकिन इन आरोपों में कितनी सच्चाई है। इसका पूरा चिट्ठा सोमवार को संसद भवन में सामने आ गया है। वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने लोकसभा में यह बताया कि सिर्फ पांच राज्यों में देश का 52 फीसदी से ज्यादा एजुकेशन लोन बकाया है। मचौंकानेवाली बात यह है कि यह पांचों राज्य दक्षिण भारत से संबंधित है।
सोमवार को संसंद में वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि देशभर में 2021 के अंत तक 22.56 लाख स्टूडेंट्स पर एजुकेशन लोन के 89,477 करोड़ रुपए बकाया थे। उन्होंने बताया कि एजुकेशन लोन लेने के मामले में केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्य आगे हैं। लेकिन लोन लेने के बाद उन्हें चुकता नहीं करनेवाले राज्यों में यही पांच हैं। इन राज्यों में शिक्षा ऋण के 46571.75 करोड़ रुपए के बकाया हैं। जो कि कुल बकाए एजुकेशन लोन का 52 फीसदी से ज्यादा है। अगर इनमें महाराष्ट्र को शामिल किया जाए तो यह 62 फीसदी हो जाता है। जो कुल बकाया राशि 55,454.04 करोड़ हो जाती है।
मतलब कि देश के 24 राज्यों में एजुकेशन लोन का 38 फीसदी बकाया है। लेकिन इसके बाद भी इन राज्यों के बच्चों को एजुकेशन लोन के लिए भटकना पड़ता है। बात अगर आबादी के लिहाज से पांच बड़े राज्यों- यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, प. बंगाल और मध्य प्रदेश की कुल बकाया लोन में हिस्सेदारी 25% है। इनमें अकेले महाराष्ट्र पर 10 फीसदी एजुकेशन लोन बाकी है। जबकि बिहार पर 3.30 और यूपी पर 4.77 फीसदी एजुकेशन लोन ही बाकी है।
राज्य शिक्षा ऋ ण बकाया हिस्सेदारी
तमिलनाडु 16301.93 18.22%
केरल 11050.90 12.35%
कर्नाटक 7964.9 8.90%
आंध्रप्रदेश 6189.84 6.92%
तेलंगाना 5064.10 5.66%
कुल बकाया 46571.75 52.05%
आबादी वाले टॉप-5 राज्य
राज्य शिक्षा ऋ ण बकाया हिस्सेदारी
यूपी 4269.58 4.77%
महाराष्ट्र 8882.29 9.93%
बिहार 2954.97 3.30%
प. बंगाल 3005.12 3.36%
मध्य प्रदेश 3045.19 3.40%
कुल बकाया 22157.15 24.76%