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गैंगस्टर संतोष झा हत्याकांड में बड़ा खुलासा, एक कुख्यात के इशारे पर रिमांड होम से रची गयी साजिश

गैंगस्टर संतोष झा हत्याकांड में बड़ा खुलासा, एक कुख्यात के इशारे पर रिमांड होम से रची गयी साजिश

SITAMARHI : गैंगस्टर संतोष झा पर गोली किसने चलाई...उसकी हत्या से किसको फायदा हो सकता है...यह सवाल हर किसी के जेहन में कौंध रहा था। लेकिन पुलिस के लिए तो इस सवाल का जवाब तलाशना यानी उस शख्स का पता लगाना किसी चुनौती से कम नहीं था। हत्या के बाद ही संतोष पर गोली किसने चलाई, इसपर आलाधिकारियों ने मंथन करना शुरू कर दिया। 

कई स्तरों से अधिकारी इस सवाल का जवाब तलाश रहे थे। पुलिस के तेजतर्रार अधिकारियों को इस काम पर लगाया गया था। जल्द ही नतीजा भी मिल गया। पुलिस ने 24 घंटे के अंदर उस शख्स का पता लगा लिया, जिसने गैंगस्टर संतोष झा को मौत के घाट उतार डाला। पुलिस के मुताबिक संतोष झा को एक नाबालिग शार्प शूटर ने गोली मारी थी। 

गिरफ्तार विकास ने उगले राज़

बता दें कि पुलिस ने इसके पहले मंगलवार यानी 28 अगस्त को ही संतोष झा हत्याकांड में विकास को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन शुरुआती पूछताछ में विकास पुलिस को बरगलाता रहा और कुछ नहीं बताया। जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो विकास की सारी हेकड़ी गुम हो गयी और उसने शूटर का नाम उगल डाला। शूटर नाबालिग है और बाल बंदी के रूप में मोतिहारी के रिमांड होम में बंद है। लेकिन 26 अगस्त को वो चार दिनों की छुट्टी पर सीतामढ़ी आया था। वो मोतिहारी के चकिया का रहनेवाला है।

गैंगस्टर मुकेश पाठक का नाम भी चर्चा में 

संतोष झा के मर्डर के पीछे कुख्यात मुकेश पाठक का भी नाम चर्चा में है। बताया जा रहा है कि पहले संतोष, मुकेश व अभिषेक सब एक ही गैंग में थे लेकिन धीरे-धीरे आपस में फूट हुई और सब अलग-अलग हो गये। संतोष के पहले अभिषेक की हत्या भी ढाका न्यायालय परिसर में कर दी गयी थी। उस वक्त यह चर्चा जोरों पर थी कि अभिषेक की हत्या के पीछे संतोष का ही हाथ है। शिवहर के अभिषेक झा की हत्या के बाद मुकेश और संतोष में दुश्मनी ठन गयी थी।

मुकेश की महत्वाकांक्षा से बढ़ी दुश्मनी

बता दें कि दरभंगा के डबल इंजीनियर मर्डर से पहले मुकेश और संतोष की दोस्ती की दुहाई दी जाती थी। जरायम की दुनिया में दोनों की दोस्ती एक मिसाल के तौर पर दी जाती थी लेकिन पावर और पैसे को लेकर धीरे-धीरे दोनों के रास्ते अलग होते चले गये। मुकेश को लगता था कि खतरा हम उठाते हैं और बॉस संतोष कहलाता है। धीरे-धीरे पूरा गिरोह दो खेमों में बंट गया। गैंग के कुछ सदस्यों ने संतोष से हाथ मिलाया तो कुछ ने मुकेश के साथ जाने में ही अपनी भलाई समझी। 

अपराध जगत को नजदीक से जाननेवालों की मानें तो अभिषेक की हत्या के बाद से ही संतोष और मुकेश के बीच दुश्मनी की खाई चौड़ी होती चली गयी। दोनों एक-दूसरे को मरवाने के लिए प्लानिंग बनाने लगे। कहा जा रहा है कि इस प्लानिंग में मुकेश संतोष पर भारी पड़ा।

बता दें कि संतोष झा हत्याकांड में गिरफ्तार विकास कुमार चकिया कुंअवा का रहनेवाला है और चकिया से 10-12 किलोमीटर की दूरी पर मेहसी मरुआवाद है, जो मुकेश का पैतृक घर है। आइए एक नजर डाल लेते हैं गैंगस्टर मुकेश पाठक के आपराधिक इतिहास पर...   

कुख्यात मुकेश पाठक का आपराधिक इतिहास 

मुकेश पाठक पर मेहसी थाना में चचेरे भाई की हत्या का केस दर्ज है। कांड संख्या 34/03, मुखिया पति चुन्नू ठाकुर हत्याकांड, कांड संख्या 131/10, अन्य दो कांड संख्या 142/10 एवं 05/11 कल्याणपुर थाना कांड संख्या 107/11 दर्ज है।

8 मई 2003 को मेहसी थाना कांड संख्या 34/03, 2010 में मेहसीथाना कांड संख्या 130/10, 2010 में मेहसी थाना कांड संख्या 131/10, 2010 में मेहसीथाना कांड संख्या 142/10, 2011 में मेहसी थाना कांड संख्या 05/11, 19 सितंबर 2011 को मोतिहारी के कल्याणपुर थाना कांड संख्या 107/11, 24 नवंबर 2011 को शिवहर के पुर्नहिया थाना कांड संख्या 93/11, 2012 में मोतिहारी के मुफस्सिल थाना कांड संख्या 93/12. 

2 मार्च 2012 को सीतामढ़ी के बेलसंड थाना कांड संख्या 21/12, 7 जून 2012 को गोपालगंज के यादवपुर थाना कांड संख्या 50/12, 20 जून 2012 को सीतामढ़ी के रूनीसैदपुर थाना कांड संख्या 131/12, 24 सितंबर 2013 को शिवहर थाना कांड संख्या 185/13, 26 दिसंबर 2015 को दरभंगा के बहेड़ी थाना में कांड संख्या 270/15


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