KATIHAR : दीपावली और छठ का त्योहार आने वाला है। ऐसे में मिट्टी के दीए के साथ उसके बाती या पलीता की डिमांड भी काफी अधिक हो जाती है। इस कारोबार से जुड़े लोगों की वयस्तता आम दिनों की तुलना में ज्यादा बढ़ जाती है। कटिहार जिले में भी बड़े पैमाने पर पलीता तैयार किया जाता है। जिसमें अब धीरे धीरे कई लोग जुड़ने लगे हैं। बताया जाता कि शहर के सिर्फ रोजीतपुर मोहल्ले में ही सौ से अधिक परिवार इस कारोबार से जुड़े हैं और न सिर्फ दीपावली और छठ बल्कि पूरे साल इसी पलीते को तैयार कर अपना रोजगार चला रहे हैं। इस मोहल्ला के अधिकतर घरों के लिए ये साल भर जीविका उपार्जन का माध्यम है।
दिवाली के लिए दीयों का पलीता तैयार करने में कई दूसरे धर्म के लोग भी शामिल हैं। इस कारोबार से जुड़े रोजितपुर के मो. मुस्लिम बताते हैं कि पलीतों की डिमांड सालों भर रहती है। लेकिन अभी दिवाली और छठ के कारण मांग ज्यादा हो गई है। जिसके कारण बाहर से लोगों को बुलाकर काम कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सिर्फ रोजितपुर में सौ घरों में पलीता तैयार किया जाता है। जिसके कारण यह इलाका पलीता टोला के नाम से मशहूर है।
थोक व्यापारियों को करते हैं सप्लाई
मो. मुस्लिम बताते हैं पलीता तैयार करने के बाद वह थोक विक्रेताओं तक माल सप्लाई कर देते हैं। उसके बाद वह ही इसे कटिहार जिला सहित आसपास के इलाकों और बंगाल तक बेचने के लिए भेजते हैं। मो. मुस्लिम की पत्नी ने बताया कि उनसा पूरा परिवार इससे जुड़ा है। इसी से गुजारा होता है। उनका कहना है कि फिलहाल कम पूंजी के कारण इसे छोटे स्तर पर चलाया जा रहा है।
दो रुपए से कम कीमत में बेचते हैं
मो. मुस्लिम ने बताया कि थोक विक्रेताओं को पलीतों का पैकेट 15-20 रुपए प्रति दर्जन के हिसाब से बेचते हैं। जिसके बाद वह अपने हिसाब से दर तय आगे बेचने का काम करता है। देखा जाए तो बाजार में इन पलीतों की प्रति पैकेट की कीमत पांच से दस रुपए के आसपात होती है, लेकिन इस व्यावसाय से जुड़े लोगों को दो रुपए से भी कम कीमत मिलता है।