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एक पत्थरबाज लड़की जो अब है चर्चित फुटबॉलर, बायोपिक पर फिल्म की शूटिंग अगले महीने से

एक पत्थरबाज लड़की जो अब है चर्चित फुटबॉलर, बायोपिक पर फिल्म की शूटिंग अगले महीने से

DELHI :  एक लड़की जो फुटबॉलर है। हालात कुछ ऐसे बने कि बन गयी पत्थरबाज। फिर किस्मत पलटी। वह बन गयी राज्य महिला फुटबॉल टीम की कप्तान। एक मुसलमान लड़की के लिए फुटबॉल खेलना आसान न था। मुश्किलों से लड़ कर उसने मुकाम बनाया। अब उसका सपना है एक दिन भारत के लिए फुटबॉल खेलना। इस लड़की के जीवन पर एक फिल्म बन रही है- होप सोलो। इस फिल्म की शूटिंग दिसम्बर 2018 से कश्मीर और मुम्बई में शुरू हो रही है। इस फिल्म को प्रोड्यूस कर रहे हैं चर्चित अभिनेता गुलशन ग्रोवर। इस मशहूर लड़की का नाम है अफ्शां आशिक 

अफ्शां आशिक के जीवन पर फिल्म

22 साल की अफ्शां आशिक जम्मू कश्मीर महिला फुटबॉल टीम की कप्तान हैं। वे मुम्बई के मशहूर महिला फुटबॉल क्लब- प्रीमियर इंडिया फुटबॉल एकेडमी के लिए खेलती हैं। श्रीनगर में लड़कियों को फुटबॉल सिखाती हैं। अफ्शां का अब तक सफर महिला सशक्तिकरण की बेजोड़ कहानी है। अब उनके जीवन पर ‘होप सोलो’ के नाम से एक फिल्म बन रही है। होप सोलो अमेरिका की एक मशहूर महिला फुटबॉल खिलाड़ी रही हैं। दो ओलम्पिक गोल्ड मेडल जीतने वाली अमेरिकी टीम का वे सदस्य रही हैं। अफ्शां भी अपनी टीम की गोलकीपर हैं।

पत्थरबाजी से चर्चित हुई थी अफ्शां आशिक

अप्रैल 2017 में एक फोटो बहुच चर्चित हुआ था। श्रीनगर में सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकती एक लंबी लड़की की तस्वीर प्रकाशित हुई थी। इसके  बाद ये पता चला था कि जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों के एक एक ऐसा गुट भी है जो लड़कियों को पत्थरबाजी की ट्रेनिंग दे रहा है। पत्थर फेंकने वाली जिस लड़की की तस्वीर सार्वजनिक हुई थी उसकी पहचान अफ्शां आशिक के रूप में हुई। अफ्शां श्रीनगर के मोलाना आजाद गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती है। उसने पत्थर फेंकने वाली लड़कियों का एक गुट बना रखा था। इस तस्वीर से अफ्शां को बहुत नुकसान हुआ। कश्मीर के बाहर उसकी आलोचना होने लगी। सोशल मीडिया पर उसे देश विरोधी लड़की कहा जाने लगा।

अफ्शां बनी फुटबॉल टीम की कप्तान

कुछ महीने बाद दिसम्बर 2017 में महिला फुटबॉल की राष्ट्रीय प्रतियोगिता होने वाली थी। अफ्शां को टीम में चुना जाए या नहीं इसको लेकर राज्य फुटबॉल संघ के पदाधिकारी उधेड़बुन में पड़ गये। अफ्शां से बात की गयी। अफ्शां को फुटबॉल से बेपनाह मोहब्बत थी। वह किसी कीमत पर खेलना चाहती थी। पत्थरबाजों की जमात से वह अलग हो गयी। उसने पूरा ध्यान खेल पर लगा दिया। वैसे अफ्शां 2014 में जम्मू कश्मीर टीम के लिए खेल चुकी थी। इसका टीम में न केवल चयन हुआ बल्कि उसे जम्मू-कश्मीर टीम का कप्तान बना दिया गया। उसने पुरानी बातों को भुला कर खेल पर ध्यान लगाया। अफ्शां के फुटबॉल की चर्चा मुम्बई तक पहुंच गयी। मुम्बई के मशहूर महिला फुटबॉल क्लब प्रीमियर इंडिया फुटबॉल एकेडमी ने उसे दो साल के अनुबंधित कर लिया। इसके बाद अफ्शां ने इंडियन वीमेंस फुटबॉल लीग 2017 में अपने खेल का जौहर दिखाया।

अफ्शां ने मेहनत से बनायी राह

अफ्शां जब छोटी थी तब वह लड़कों के साथ ही फुटबॉल खेलती थी। छोटी उम्र में ही वह जिस तरह से ड्रिब्लिंग करती थी उससे पता चल गया था कि एक दिन वह आगे जाएगी। जब वह बड़ी होने लगी तो उसके भाई और पिता उसके फुटबॉल खेलने का विरोध करने लगे। पहले उन्होंने धार्मिक आधार पर इसका विरोध किया। छोटे कपड़ों में वह कैसे खेल सकती है। तब अफ्शां ने उनको जवाब दिया- इराक, ईरान और दूसरे खाड़ी देशों की लड़कियां कैसे खेलती हैं ? वह भी वैसे ही कपड़े पहन कर खेलेगी। फिर अफ्शा से कहा गया कि फुटबॉल लड़कों का खेल है, तुम क्रिकेट खेलो। लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। आखिरकार घर वालों ने अफ्शां को फुटबॉल खेलने की इजाजत दे दी। जब उसे मुम्ब्ई जाना था तो एक बार फिर घर वालों ने विरोध शुरू कर दिया। एक दिन अफ्शां ने बिना किसी को बताए बैग पैक किया, फ्लाइट पकड़ी और  पहुंच गयी मुम्बई। आज अफ्शां जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे देश में सेलिब्रिटी का दर्जा हासिल कर चुकी है।

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