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झुनझुना दिखाकर लोकसभा चुनाव तक पहुंच गए नीतीश, आखिर क्यों नहीं हुआ कैबिनेट विस्तार?

झुनझुना दिखाकर लोकसभा चुनाव तक पहुंच गए नीतीश, आखिर क्यों नहीं हुआ कैबिनेट विस्तार?

PATNA : जुलाई 2017 में महागठबंधन से अलग होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब एनडीए के साथ सरकार बनाई थी। नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के महीने भर बाद से ही यह कयास लगने लगा था कि नीतीश कैबिनेट के विस्तार होगा। 14 महीने बाद सितंबर 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद एलान किया कि त्योहारों के वह अपनी कैबिनेट के विस्तार करेंगें। 

नीतीश कुमार के इस एलान के बाद जेडीयू के ऐसे नेताओं को उम्मीद की किरण दिखी तो सरकार में अपना एडजस्टमेंट चाहते थे। कैबिनेट विस्तार का झुनझुना ऐसा दिखा कि जेडीयू के विधायकों और विधान पार्षदों ने अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी। महागठबंधन से लेकर एनडीए तक की सरकारों में कैबिनेट से बाहर रखे गए श्याम रजक सरीखे पुराने दिग्गज़ भी जेडीयू के जिला सम्मेलनों में पसीना बहाते दिखे। कांग्रेस छोड़कर नीतीश कैबिनेट में एंट्री की उम्मीद लिए आये अशोक चौधरी ने तो युवा और दलित सम्मेलन के जरिये खुद को पार्टी और सरकार के लिए ज्यादा उपयोगी साबित करने कि लगातार कोशिश की लेकिन झुनझुना हाथ नहीं आया। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में मंजू वर्मा की कैबिनेट से छुट्टी होने के बाद जेडीयू की महिला विधायकों को भी कैबिनेट विस्तार में जगह मिलने की उम्मीद थी। पूर्व मंत्री और विधायक रंजू गीता ने जेडीयू के महिला समागम में अपनी पूरी ताकत लगाकर अपनी दावेदारी दिखाई लेकिन नतीजा खाली हाथ रहा। जेडीयू के अंदर झुनझुने की आस लगाए नेताओं की फेहरिस्त लंबी है। नीतीश कुमार ने कैबिनेट विस्तार का झुनझुना तो दिखाया लेकिन वह झुनझुना जेडीयू नेताओं के हाथ नहीं लगा। 

अब वक़्त लोकसभा चुनाव का है। यह तय हो चुका है कि नीतीश कैबिनेट विस्तार चुनाव के पहले नहीं होगा। सियासी जानकर मानते हैं कि नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट का विस्तार इसलिए नहीं किया क्योंकि पार्टी के अंदर एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। ऐसे में नीतीश चुनाव के ठीक पहले किसी नेता को कैबिनेट में जगह देकर अन्य नेताओं की नाराज़गी नहीं झेलना चाहते। नीतीश कैबिनेट में शामिल कई मंत्रियों के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। ऐसे में उनके संसद चले जाने के बाद राज्य कैबिनेट की सही स्थिति का आकलन हो पाएगा। तो जेडीयू के उन नेताओं को लोकसभा चुनाव के बाद झुनझुना मिलने की उम्मीद है जो लंबे अरसे से इसपर टकटकी लगाए बैठे हैं।

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