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आप सांसद बोले, 2 डिग्री में बिना छत के सड़क पर बैठने वाले किसानों के साथ मोदी सरकार पाप कर रही है

आप सांसद बोले, 2 डिग्री में बिना छत के सड़क पर बैठने वाले किसानों के साथ मोदी सरकार पाप कर रही है

नई दिल्ली... दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठे किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कमेटी तो गठन करने के आदेश दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान सिंघू बॉर्डर से हटने के लिए तैयार नहीं हैं। किसानों को कहना है कि हम न्यायपालिका की प्रक्रिया में नहीं जाना चाहते हैं, बल्कि सीधा भारत सरकार से संवाद करना चाहते हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर न्यूज4नेशन के संवाददाता धीरज सिंह ने आप से राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता से खास बातचीत की और जानने की कोशिश की आखिर किसान मान क्यों नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान बिल पर मोदी सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि 2 डिग्री टेंपरेचर में बिना छत के सड़क पर बैठने वाले किसान के साथ अन्याय कर मोदी सरकार पाप की भागीदार बन रही है।

बातचीत के दौरा सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून को रद्द नहीं किया है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को थोड़े दिनों के लिए स्टे कर दिया है। किसानों के मन के अंदर एक दुविधा है कि आज किसान घर पर चले जाएंगे तो कल स्टे खत्म हो जाएगा। आपको बता दें कि यह उन्हीं लोगों की कमेटी बनी है, जो पहले पहले ही इस कानून को पक्ष में अपनी राय दे चुके हैं। पहले ही उन कानूनों का अच्छा बता रहे हैं तो ऐसे व्यक्ति से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती है। वही इस कमेटी के मेंबरों में से एक मेंबर रिजाइन भी कर चुके हैं। वह कहते हैं कि मुझे कमेटी का मेंबर नहीं रहना है जो संयोजक के रूप में कार्य करने वाले थे।

सांसद ने कहा कि किसानों का ये साफ-साफ ये बयान है कि वह सरकार से बात करना चाहते हैं। कोर्ट ने जिस दिन निर्णय लिया, उस दिन किसानों के वकील भी कोर्ट के अंदर नहीं पहुंचे थे और किसानों का यह मानना है कि हम लंबी न्यायिक प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहते हैं। हम अपने मामलों पर सीधा भारत सरकार से संवाद करना चाहते हैं। सांसद ने कहा कि 28 तारीख से संसद का सत्र शुरू हो रहा है और संसद के सत्र के अंदर जो किसानों के सांसों की गर्म हवा यहां के राजनीति को बहुत गर्म कर देती है और अच्छा होगा कि केंद्र सरकार उसे पहले ही किसानों को आश्वासन दें कि हम इस संसद के सत्र के अंदर इस कानून को रद्द करेंगे और किसानों को इज्जत के साथ घर वापस भेजें। आप देखेंगे कि 3 से 2 डिग्री टेंपरेचर है बिना छत के किसान आज सड़क पर सोए हुए हैं। बुजुर्ग महिलाएं, बच्चे और कोरोना का युग ऊपर से आंदोलन का 50वां दिन यह पीड़ादायक है। आंदोलन में सैकड़ों की शहादत हो गई है और सरकार कितने किसानों का शहादत लेना चाहती है। सरकार इन कानूनों को रद्द करें और देश के अन्नदाता को सुख के साथ अपने घर वापस में भेजें। 

सांसद ने कहा कि सरकार बात करने के लिए बुलाती तो है लेकिन किसानों की सुनती कहां है। वहीं किसान पहले दिन से आज तक अपनी बात को बदले नहीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार आज तक सिर्फ एक ही बात कहती है कि किसानों को बिल से फायद होगा, लेकिन कैसे होगा ये नहीं बताती है। यह बिल सिर्फ पूंजिपतियों के लिए बनया गया है। 

नई दिल्ली से धीरज सिंह की रिपोर्ट...


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