DESK:देश भर में प्रदूषण की समस्या अब कई शहरों के लिए मुसीबत बन गई है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इतना प्रदूषण शहर से जनरेट हो रहा है या फिर हवा के जरिए कहीं और से आ रहा है। अब इसका पता लगाने और निगरानी के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आइआइटी कानपुर ने पहल की है। अब चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांगलादेश, भूटान आदि पड़ोसी देशों से आने वाले वायु प्रदूषण की निगरानी आइआइटी का सेमी ऑटोमेटिक रोबोटिक एयर सैंपलर करेगा।
एक बार चार्ज करने पर महीने भर बताएगा गुणवत्ता
जानकारी के मुताबिक रोबोटिक एयर सैंपलर को एक बार चार्ज करने पर ये महीने भर तक हवा की गुणवत्ता बताएगा। हानिकारक गैसों और अति सूक्ष्म कणों का आकलन करने की क्षमता वाले सैंपलर के खास सेंसर सूक्ष्म कणों के घनत्व की जानकारी भी दे सकेंगे।इसको मोबाइल फोन के जरिए चलाया जा सकता है और ऑनलाइन सभी डेटा मोबाइल फोन में आ जाएंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के डिजाइन इनोवेशन सेंटर से सहयोग से तैयार सैंपलर के एडवांस वर्जन पर काम चल रहा है। इस मशीन को क्रूज शिप के सहारे अरब सागर, बंगाल की खाड़ी में तैनात किया जा सकेगा। इसे समुद्रतल से पांच हजार फीट की ऊंचाई पर ग्लेशियर या रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी स्थापित किया जा सकता है।
बता दें की इस मशीन को सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. तरुण गुप्ता व शोधार्थी डॉ. कनिष्क विश्वास ने सैंपलर तैयार किया है। इसकी खास तरह की डिजाइन और विशेषता की वजह से इसको पेटेंट कराया गया। प्रो. गुप्ता ने बताया कि सैंपलर को बनाने में करीब डेढ़ से दो लाख रुपये की लागत आई है।