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बड़हिया स्टेशन से रेलवे के सौतेले व्यवहार की गवाही दे रहा अभयपुर रेलवे स्टेशन, ट्रेनों का ठहराव हटाने के रेलवे के दावों की खोल रहा पोल

बड़हिया स्टेशन से रेलवे के सौतेले व्यवहार की गवाही दे रहा अभयपुर रेलवे स्टेशन, ट्रेनों का ठहराव हटाने के रेलवे के दावों की खोल रहा पोल

लखीसराय. रेलवे के सौतेले व्यवहार से आजिज होकर 22 मई,रविवार की सुबह करीब 10 बजे बड़हिया रेलवे स्टेशन पर प्रारंभ हुआ स्थानीय लोगों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन आला अधिकारियों के लिखित आश्वासन के बाद सोमवार शाम 5:40 बजे समाप्त हुआ। इस बीच करीब 32 घन्टे हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह ठप रही। लेकिन रेलवे ने जिन दावों के आधार पर बड़हिया से ट्रेनों का ठहराव हटाया है वह आंकड़ों में रेलवे के फर्जी दावों की पोल खोल रहे हैं. 

दरअसल, रेलवे के अधिकारियों के अनुसार ट्रेनों के ठहराव का आधार राजस्व की प्राप्ति बताया गया और बड़हिया रेलवे स्टेशन से कम राजस्व प्राप्ति कही बात कही गई थी। लेकिन बड़हिया निवासी आरटीआई कार्यकर्ता सौरभ कुमार ने जब आरटीआई के माध्यम से जानकारी प्राप्त की तो पता चलता है कि पिछले पाँच वित्तीय वर्ष में बड़हिया रेलवे स्टेशन से रेलवे को 2.83 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई है। जबकि वहीं इन्हीं पाँच वित्तीय वर्षों में किउल के निकट अभयपुर रेलवे स्टेशन से रेलवे को 1.99 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई है,जो कि बड़हिया से काफी कम है। बावजूद अभयपुर रेलवे स्टेशन पर भागलपुर-आनन्द विहार गरीब रथ, दिल्ली-डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र मेल, गोवाहटी-लोकमान्य तिलक, सूरत-भागलपुर जैसे महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव दिया गया है। इतना ही नहीं यदि दोनों स्टेशनों की तुलना की जाए तो अभयपुर की तुलना में बड़हिया रेलवे स्टेशन पर करीब दो दर्जन कम ट्रेनों का ठहराव है जबकि भौगोलिक दृष्टि से अभयपुर बड़हिया की तुलना में काफी कम आबादी वाला और कम महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। बड़हिया के आसपास करीब एक सौ गाँव बसे हैं। बड़हिया रेलवे स्टेशन हावड़ा-मुगलसराय-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर है।रोजी-रोटी के लिए दिल्ली,मुंबई, कोलकाता,गुजरात आदि प्रदेश जाने के लिए गाड़ियाँ इस रूट से गुजरती हैं।

रेल चक्का जाम के दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने 66 ट्रेनों का रूट परिवर्तन किया जबकि 51 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। इस दौरान हटिया से पटना जाने वाली पाटलिपुत्र एक्सप्रेस बड़हिया स्टेशन पर खड़ी रही। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी रेल की पटरियों पर और रेलवे स्टेशन पर जमे रहे। दरअसल ये लड़ाई बड़हिया के सम्मान की लड़ाई बन गई थी और इस लड़ाई में बड़हिया ही नहीं आसपास के लोग भी प्रदर्शनकारियों के साथ थे। सोमवार संध्या दानापुर मंडल के एडीआरएम, लखीसराय के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आंदोलन कर रहे लोगों के प्रतिनिधि और डीआरएम के बीच वार्ता हुई जिसमें 15 दिनों के अंदर हटिया-पटना पाटलिपुत्र एक्सप्रेस के ठहराव की स्वीकृति दी गई और दो महीने के अंदर समीक्षा कर माँग में शामिल बाकी ट्रेनों के ठहराव का आश्वासन दिया गया। तब जाकर प्रदर्शनकारियों ने रेल परिसर को खाली किया और रेल सेवा पुनः बहाल हुई।

रेलवे प्रशासन के द्वारा बड़हिया रेलवे स्टेशन पर 13105/13106 सियालदह-बलिया एक्सप्रेस,12335/12336 भागलपुर -लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस,13420/13421 मुजफ्फरपुर- भागलपुर जनसेवा एक्सप्रेस,18181/18182 टाटा-छपरा(थावे) एक्सप्रेस,28181/28182 कटिहार एक्सप्रेस,13483/13484 मालदा टाउन-फरक्का एक्सप्रेस(वाया अयोध्या),13413/13414 मालदा टाउन-फरक्का एक्सप्रेस(वाया सुल्तानगंज),15647/15648 गुवाहाटी-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस और 18621/18622 पटना-हटिया पाटलिपुत्र एक्सप्रेस जैसे महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव कोरोना काल के बाद खत्म कर दिया गया।जबकि कोरोना काल से पूर्व इन ट्रेनों का ठहराव बड़हिया रेलवे स्टेशन पर हुआ करता था।   इसके अलावा लंबे समय से बड़हिया वासी जनशताब्दी,कुंभ एक्सप्रेस, उपासना,पूर्वा,ब्रह्मपुत्र मेल,हिमगिरी, अकालतख्त एवं पंजाब मेल सहित करीब एक दर्जन ट्रेनों के ठहराव की माँग करते आ रहे हैं।

व्यापार और पर्यटन दोनों को नुकसान 

बड़हिया प्रदेश का काफी महत्वपूर्ण स्थान रहा है। बड़हिया रेलवे स्टेशन का धार्मिक महत्व भी है,जहाँ माता जगदम्बा का मंदिर है। बड़हिया स्थित माता जगदम्बा का मंदिर पूरे प्रदेश ही नहीं,अन्य प्रदेशों के लोगों का भी आस्था का केन्द्र है। यहाँ प्रति वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। बड़हिया रेलवे स्टेशन से माता के मंदिर की दूरी करीब दो किलोमीटर है,जबकि अन्य रेलवे स्टेशन 10 से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। इतना ही नहीं बड़हिया रेलवे स्टेशन के आसपास सैंकड़ों गाँव बसे हैं,जिनके कहीं आने-जाने का माध्यम भारतीय रेल है। आरटीआई से प्राप्त आंकड़े ये स्प्ष्ट करते हैं कि रेलवे के आला अधिकारी लंबे समय से बड़हिया स्टेशन के साथ सौतेला व्यवहार करते आ रहे हैं। रेल मंत्रालय को ये स्प्ष्ट करना चाहिए कि यदि ट्रेनों के ठहराव का आधार राजस्व की प्राप्ति नहीं है,स्टेशन का धार्मिक महत्व नहीं है,सामाजिक महत्व नहीं है तो फिर क्या है ?

(अनुभव सिंह- यह लेखक के निजी विचार हैं)


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