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केसों की संख्या और आबादी के अनुसार अब कम पड़ रहे हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा - बढ़नी चाहिए संख्या

केसों की संख्या और आबादी के अनुसार अब कम पड़ रहे हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा - बढ़नी चाहिए संख्या

PATNA : पटना हाईकोर्ट में जस्टिस ए अमानुल्लाह समेत सात नए जजों के आने के बाद जजों की संख्या 27 से बढ़ कर 35 हो जाएगी। वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इन जजों के आने से मुकदमों की सुनवाई और निष्पादन में तेजी आएगी।उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट में बड़े तादाद में मुकदमों की सुनवाई लंबित हैं।

उन्होंने कहा कि अभी पटना हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 53 हैं,जबकि अभी 35 जज ही होंगे।राज्य की आबादी और लंबित मुकदमों की संख्या देखते हुए न सिर्फ जजों के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए,बल्कि जजों के नए पदों का सृजन कर पटना हाईकोर्ट में जजों की संख्या 75 होनी चाहिये। 

उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट में मुकदमों का अंबार लगा हुआ है। जजों की भारी कमी है। जिसके कारण मुकदमों का निष्पादन तेजी से नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के अलावा प्रदेश के सभी निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारी तथा कर्मियों की भारी कमी है। इस वजह से न्याय पाने के लिए आम नागरिकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। उनका कहना था कि समय रहते इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति भयावह हो जाएगी।

राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस को भेज चुके हैं प्रस्ताव

बता दें कि पूर्व में योगेश चंद्र वर्मा ने एडवोकेट एसोसिएशन की तरफ  सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित कर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय कानून मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट के प्रधान मुख्य न्यायाधीश एवं संवैधानिक पदों पर बैठे सभी लोगों को भेज चूके हैं है।  उन्होंने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल से इस दिशा में पहल करने का भी अनुरोध किया था। 

बता दें कि पटना हाईकोर्ट में लाखों की संख्या में केस पेंडिंग है, जिन पर सुनवाई नहीं हो पा रही है। खुद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी बिहार में बेतहाशा बढ़ रहे केसों की संख्या पर चिंता जाहिर की थी।

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