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बिहार स्टेट स्पोर्ट ऑथोरिटी के कार्यकलापों की जांच करेंगे कला, संस्कृति और युवा विभाग के एसीएस, हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

बिहार स्टेट स्पोर्ट ऑथोरिटी के कार्यकलापों की जांच करेंगे कला, संस्कृति और युवा विभाग के एसीएस, हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

पटना हाई कोर्ट ने कला, संस्कृति और युवा विभाग के अपर मुख्य सचिव को बिहार स्टेट स्पोर्ट ऑथोरिटी के कार्यकलापों की जांच करने का आदेश दिया है।जस्टिस संदीप कुमार ने बिहार हैंडबॉल एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया। 

कोर्ट ने बिहार स्टेट स्पोर्ट ऑथोरिटी को अपंजीकृत हैंडबॉल एसोसिएशन और किसी अन्य खेल संस्था पर विचार नहीं करने का आदेश दिया।कोर्ट को बताया गया कि बिहार स्पोर्ट्स कानून के अंतर्गत बिहार हैंडबॉल एसोसिएशन पंजीकृत हैं। उनका कहना था कि गत वर्ष 25 मार्च को बिहार स्टेट स्पोर्ट्स ऑथोरिटी को पंजीकृत किया गया।इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री, उपाध्यक्ष उप मुख्यमंत्री को बनाया गया।

वहीं विभिन्न अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव को बतौर सदस्य के रूप में रखा गया और बिहार स्टेट स्पोर्ट्स ऑथोरिटी के सदस्य सचिव को डायरेक्ट जनरल सह सीईओ बनाया गया। 

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण एक उचित रूप से गठित निकाय नहीं था और इसलिए, वर्ष 2023 में किसी समय, निकाय को पंजीकृत कराने का निर्णय लिया गया। पहली बार 25 मार्च,2023 को निकाय को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत किया गया।

 9 जनवरी, 2024 से पहले, कला संस्कृति और युवा विभाग बिहार राज्य में खेल के मामलों का प्रबंधन कर रहा था, लेकिन 9 जनवरी, 2024 को खेल और खिलाड़ियों आदि के कल्याण के लिए एक नया खेल विभाग बनाया गया है। उनका कहना था कि बिहार राज्य खेल प्राधिकरण, जो राज्य का एक अंग है, मनमाने ढंग से और अवैध रूप से हैंडबॉल एसोसिएशन ऑफ बिहार को बढ़ावा दे रहा है और सभी वित्तीय लाभ प्रदान कर रहा है। जबकि यह बिहार खेल कानून के तहत पंजीकृत खेल संघ नहीं है। बिहार हैंडबॉल संघ की शिकायत  बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के निदेशक-सह-सचिव से की गई।लेकिन कुछ नहीं किया गया।

कोर्ट ने सभी की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने कला,संस्कृति और युवा विभाग के अपर मुख्य सचिव को फंड के दुरुपयोग की जांच करने का आदेश दिया।साथ ही कहा कि आरोप सच पाये जाने पर दो माह के भीतर कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया।

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