PATNA : बिहार में अपराधी भले बेलगाम हो गये हों लेकिन सजा उन्हें द्रुत गति से मिल रही है। आंकड़ों का हवाला देकर पुलिस मुख्यालय का ऐसा कहना है। स्पीडी ट्रायल चलाकर सात महीनों के अंदर 3 हजार 630 अभियुक्तों को सजा दिलायी गयी। एडीजी एस के सिंघल ने बताया कि स्पीडी ट्रायल चलाकर इस साल जनवरी से जुलाई महीनों के बीच तीन हजार से ज्यादा अभियुक्तों को सजा दिलायी गयी। वहीं सिर्फ जुलाई महीने में सबसे ज्यादा 641अभियुक्तों को सजा मिली।
सात महीने में हुई 61 हजार गवाहों की गवाही
बता दें कि किसी भी मुकदमा में गवाह की अहम भूमिका होती है और उस लिहाज से देखें तो इस साल के जनवरी से जुलाई महीनों के बीच 61 हजार 280 गवाहों की गवाही हुई है। सिर्फ जुलाई महीने में 11 हजार, 795 गवाहों की गवाही हुई। यह अपने आप में चौंकानेवाला आंकड़ा है।
एडीजी का कहना है कि ऐसा सिर्फ स्पीडी ट्रायल से संभव हो पा रहा है। अपराधियों को सजा दिलाने में यह एक मजबूत टूल के रूप में बिहार पुलिस के हात लगा है। बिहार पुलिस इसका बखूबी इस्तेमाल कर रही है।
6.21 प्रतिशत की दर से स्पीडी ट्रायल के मामलों में वृद्धि हुई है। इसका एक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा। एडीजी ने बताया कि स्पीडी ट्रायल कोर्ट में संसाधनों की कमी को जल्द ही दूर कर लिया जायेगा।
तत्कालीन डीजीपी अभयानंद के कार्यकाल में शुरू हुआ स्पीडी ट्रायल
बता दें कि बिहार में कानून का राज कायम करने के लिए नीतीश कुमार ने पुलिस विभाग को कई नये प्रयोग करने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में तत्कालीन डीजीपी अभयानंद के कार्यकाल में स्पीडी ट्रायल की शुरुआत की गयी थी। बिहार में अपराधियों को त्वरित सजा दिलवाने की खातिर स्पीडी ट्रायल की शुरुआत की गयी थी।