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बिहार में 1934 में बंद हुई रेल लाइन पर 87 साल बाद अब दौड़ेगी ट्रेन, इन जिलों को होगा बड़ा फायदा

बिहार में 1934 में बंद हुई रेल लाइन पर 87 साल बाद अब दौड़ेगी ट्रेन, इन जिलों को होगा बड़ा फायदा

पटना. वर्ष 1934 में बिहार ने सबसे प्रलयंकारी भूकंप देखा. उस भूकंप में कोसी और मिथिलांचल को न सिर्फ बड़ा नुकसान हुआ बल्कि आजादी के पूर्व जिन इलाकों में रेलगाड़ी चला करती थी वहां रेल लाइन पूरी तरह ध्वस्त हो गया. कोसी और मिथिलांचल के इलाकों में रेल सम्पर्क करने के कई प्रयास हुए लेकिन पिछले 87 साल से झंझारपुर-सहरसा को रेल रूट का इंतजार रहा जो अब जाकर पूरा हो रहा है. 

रेल रूट नहीं होने के कारण इस क्षेत्र के लोगों का अवागमन अत्यंत दुष्कर बना रहा. लेकिन अब एक बार फिर से झंझारपुर-सहरसा के बीच रेल चलने को तैयार है. रेल अधिकारियों के अनुसार झंझारपुर-सहरसा के बीच इसी सप्ताह पैसेंजर स्पेशल ट्रेन चलेगी. उद्घाटन स्पेशल ट्रेन झंझारपुर से खुलकर तमुरिया, निर्मली, आसनपुर कुपहा, सरायगढ़, सुपौल होते सहरसा पहुंचेगी. नए रूट पर ट्रेन चलने से लाखों लोगों को फायदा होगा. न सिर्फ उनका सफर सुहाना हो जाएगा बल्कि कम खर्च में ज्यादा सुगम सफर भी कर सकेंगे. 

दरअसल, मौजूदा रूट मानसी, खगड़िया, समस्तीपुर होकर दरभंगा पहुंचने में ट्रेन को सवा चार घंटे लगते हैं. अब नए रूट सरायगढ़, निर्मली, झंझारपुर होकर एक्सप्रेस ट्रेन से मात्र तीन से सवा तीन घंटे में सफर पूरा किया जा सकता है. सहरसा से सरायगढ़, निर्मली, झंझारपुर होकर दरभंगा की दूरी सिमटकर मात्र 125 किमी की हो जाएगी.

नए रूट पर ट्रेन सेवा नियमित होने पर मिथिला के दरभंगा से झंझारपुर होते हुए कोसी के सहरसा इलाके में आने जाने का नया रेल मार्ग मिल जाएगा. साथ ही यह एक प्रकार से इतिहास का पुनर्जीवन होगा जो 87 साल बाद साकार हो रहा है. हालांकि रेलवे की ओर से रेल परिचालन की कोई आधिकारिक तारीख की घोषणा नहीं की गई लेकिन माना जा रहा है कि इस सप्ताह से रेल परिचालन नियमित हो जाएगा. 


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