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आखिर 'नीतीश' की क्या थी मजबूरी...जो 'आटा-चावल' बेचने वाले को सीधे बना दिया JDU संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष ? अगवानी के लिए नेताओं की उतारी थी फौज

आखिर 'नीतीश' की क्या थी मजबूरी...जो 'आटा-चावल' बेचने वाले को सीधे बना दिया JDU संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष ? अगवानी के लिए नेताओं की उतारी थी फौज

PATNA: जेडीयू के अंदर घमासान मचा है. उपेन्द्र कुशवाहा के तल्ख तेवर से पूरी पार्टी बेचैन है. नीतीश कुमार ने कुशवाहा को बाहर जाने की सलाह दी तो उन्होंने हिस्सेदारी की मांग कर दी. इसके बाद जेडीयू नेतृत्व और परेशान हो उठा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने उपेन्द्र कुशवाहा पर गंभीर टिप्पणी की है. उमेश कुशवाहा ने खुलासा किया है कि उपेन्द्र आटा-चावल बेच रहे थे तो हमारे नेता नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद भेजा. बड़ा सवाल यही है कि आखिर नीतीश कुमार की ऐसी कौन सी मजबूरी थी जो आटा-चावल बेचने वाले को सीधे पार्टी संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय बनाकर विधान पार्षद भी बना दिया ? क्या दल के अंदर संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बनने लायक किसी के पास तर्जुबा नहीं था ? आखिर एक बेरोजगार व आटा-चावल बेचने वाले नेता को दल में शामिल कराने के लिए नीतीश कुमार से लेकर ललन सिंह, बिजेन्द्र यादव, अशोक चौधरी,बिजय चौधरी बेचैन क्यों थे ?

उपेन्द्र कुशवाहा आटा-चावल बेच रहे थे 

याद करिए....14 मार्च 2021 का वह दिन. आज जिस उपेन्द्र कुशवाहा को आटा-चावल बेचने वाला कहा जा रहा, उन्हीं को जेडीय़ू में शामिल कराने को लेकर खुद नीतीश कुमार पार्टी दफ्तर में मौजूद थे. कुशवाहा के जेडीयू दफ्तर में इंट्री से पहले ही मुख्यमंत्री कर्पूरी सभागार में पहुंच गए थे. सीएम नीतीश के आने के बाद कुशवाहा वहां पहुंचते हैं. जेडीयू दफ्तर के परिसर में कुशवाहा की अगवानी के लिए नीतीश कुमार ने अपने नीचे के तमाम नेताओं को लगा दिया था. वर्तमान अध्यक्ष ललन सिंह, बिजेन्द्र यादव, अशोक चौधरी समेत अन्य नेताओं को लगाया गया था. कर्पूरी सभागार के बाहर कैंपस में जैसे ही उपेन्द्र कुशवाहा की इंट्री होती है वहां इन नेताओं ने गुलदस्ता देकर कुशवाहा का स्वागत किया था. पार्टी में शामिल कराकर नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि अब हम दोनों एक साथ राज्य और देश का विकास करेंगे. करीब दो साल बाद वही नीतीश कुमार कह रहे कि वह (कुशवाहा) तो दो-तीन बार बाहर छोड़कर गए, फिर खुद आए. उनकी क्या इच्छा है हमको मालूम नहीं। इधर, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष तो काफी आगे निकल गए। उमेश कुशवाहा ने तो हद कर दिया. उन्होंने जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष जिसे मुख्यमंत्री ने दल में शामिल कराने के साथ ही संसदीय़ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया. इसके बाद विधान परिषद भेजा उन्हें आटा-चावल बेचने वाला कह रहे. झंडोत्तोलन के बाद जेडीयू दफ्तर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उमेश कुशवाहा ने उपेन्द्र कुशवाहा पर हमला बोलते हुए कहा कि कल तक जो आदमी लगातार संगठन की मजबूती की बात कर रहे थे, आज हिस्सेदारी मांग रहे हैं. उनको तो शर्म आनी चाहिए. जिसको उपेंद्र सिंह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा बनाया, विरोधी दल का नेता बनाया, राज्यसभा में भेजा. जब बेरोजगार हो गए और आटा-चावल बेच रहे थे तो फिर लाकर उन्हें विधान परिषद में भेजा. वह ऐसी बात करते हैं. हमें तो ऐसे लोगों पर ताज्जुब होता है।

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 2020 विस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी की भद्द पिट गई थी. उपेन्द्र कुशवाहा की वजह से दर्जनों सीट पर जेडीयू कैंडिडेट की मुश्किलें बढ़ गई थी. खुद के कमजोर होने व उपेन्द्र कुशवाहा की ताकत को भांपते हुए नीतीश कुमार ने उन्हें साथ लेने का फैसला लिया था. कुशवाहा से कई राउंड की बात की. बात पक्की होने के बाद नीतीश कुमार ने इन्हें दल में  शामिल कराया. पार्टी में शामिल कराने के साथ ही नंबर तीन की कुर्सी देने की घोषणा करते हुए पार्टी संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था.    

 हम चले जाएं और आप पूरी संपत्ति हड़प लें ? 

उपेन्द्र कुशवाहा ने बुधवार को ट्वीट कर सीएम नीतीश को खुला चैलेंज दे दिया था. कहा कि बड़ा अच्छा कहा भाई साहब आपने...! ऐसे बड़े भाई के कहने से छोटा भाई घर छोड़कर जाने लगे तब तो हर बड़का भाई अपने छोटका को घर से भगाकर बाप-दादा की पूरी संपत्ति अकेले हड़प ले। ऐसे कैसे चले जाएं अपना हिस्सा छोड़कर....? उपेन्द्र कुशवाहा ने साफ-साफ कह दिया कि वे आपके कहने से पार्टी छोड़कर जाने वाले नहीं हैं. 

कुशवाहा ने 2021 में अपनी पार्टी का जेडीयू में किया था विलय 

उपेन्द्र कुशवाहा 14  मार्च 2021 को जेडीयू में शामिल हुए थे। अपनी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय की घोषणा करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि यह देश और राज्य के हित में है. उन्होंने कहा था कि विलय वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति की मांग थी. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ''नीतीश कुमार मेरे बड़े भाई की तरह हैं. मैंने व्यक्तिगत रूप से हमेशा उनका सम्मान किया है. इसके पहले वे 2013 में जेडीयू से अलग हुए थे और अलग पार्टी बनाई थी. साल 2014 में कुशवाहा एनडीए में शामिल हो गए थे, जबकि नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चले गए थे. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा को तीन लोकसभा सीटें बिहार में मिली थीं और सभी पर जीत हुई थी. कुशवाहा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी बनाए गए. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज़ तीन सीटों पर ही वो खाता खोल पाई थी.इसके बाद साल 2018 में कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए थे.

साल 2000 के विधानसभा चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा ने जंदाहा सीट से ही चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। चुनाव जीतने के बाद कुशवाहा, नीतीश कुमार के करीब आ गए। इसी का नतीजा था कि साल 2004 में जब सुशील मोदी लोकसभा चुनाव जीतकर केन्द्र में चले गए तो नीतीश के समर्थन से कुशवाहा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिए गए। इसके बाद इन्हें बिहार के भावी सीएम की कतार में भी गिना जाने लगा. 2005 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा जंदाहा सीट से चुनाव हार गए। उस चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और जोड़-तोड़ करने के बाद भी कोई पार्टी सरकार नहीं बना पायी। इसके बाद अक्टूबर 2005 में ही फिर से चुनाव हुए, लेकिन इस बार दलसिंहपुर सीट से उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव हार गये. हार की वजह से नीतीश सरकार में इन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सका। 

2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व में जदयू-भाजपा की सरकार बनी. उपेन्द्र कुशवाहा को इसमें जगह नहीं मिली। माना जाता है कि तभी से ही दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव की शुरुआत हो गई थी। इसके बाद कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़कर एनसीपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। एनसीपी ने उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया लेकिन महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर हुई हमलों की घटनाओं के बाद कुशवाहा ने एनसीपी भी छोड़ दी। साल 2009 में कुशवाहा की फिर से जदयू में एंट्री हुई और पार्टी ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भी भेज दिया, लेकिन उस दौरान भी पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने के चलते उन्हें फिर से जदयू छोड़नी पड़ी। साल 2013 में उपेन्द्र कुशवाहा ने जेडीयू को छोड़कर जोरदार तरीके से पटना के गांधी मैदान से नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के गठन का ऐलान किया. 

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