PATNA : पटना हाईकोर्ट ने एक सरकारी ठेकेदार मनोज कुमार झा को न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करने के लिए पांच हजार रुपए का हर्जाना लगाया । चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन एवं हरीश कुमार की खंडपीठ ने मनोज की रिट याचिका को वापस लेने की अनुमति देने के साथ उस पर उक्त हर्जाना लगाया।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि शिक्षा विभाग की एक टेंडर में भाग लेने के बाद उसे अचानक बिना कोई कारण बताए ही अगले 10 वर्षों के लिए काली सूची में नाम दर्ज करने की सजा दी गई , वहीं गलत / जाली कार्य प्रमाणपत्र दायर करने वाले ठेकेदार काली सूची में दर्ज किया गया था।
वही दूसरे पक्ष ने बिहार राज्य शिक्षा आधारभूत संरचना विकास निगम ने जवाबी हलफनामा देकर कोर्ट को बताया कि मनोज ने बतौर सरकारी संवेदक , जो कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र एवं वार्षिक टर्न ओवर से जुड़े दस्तावेज जमा किया था ,वह वेरिफिकेशन में जाली पाया गया। इस सम्बन्ध में निगम ने याचिकाकर्ता ठेकेदार को उसके ई मेल पर कारण पृच्छा नोटिस भी भेजा, जिसपर वो चुप्पी साधे रहा।
यही नहीं,उसके कार्य प्रमाण पत्र को जाली ठहराने वाली चार्टर्ड एकाउंटेंट की चिट्ठी की प्रति भी मनोज को दी गई थी ।उचित जवाब नहीं मिलने के कारण उसे निगम ने ब्लैक लिस्ट किया। इन सभी तथ्यों को याचिकाकर्ता ने कोर्ट से छुपा कर रिट याचिका दायर किया था। याचिकाकर्ता के वकील प्रभात रंजन मुकदमे को वापस लेने की गुहार लगाया, तो कोर्ट ने विपक्षी से पूछा की उन्हें को आपत्ति तो नही।
विपक्षी निगम के वकील गिरिजेश कुमार ने कोर्ट से आग्रह किया कियाचिकाकर्ता ने पहले निगम पर झूठा आरोप लगाया कि बगैर नोटिस के ही उसे सजा दी गई। अब जब निगम , याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई जाली प्रमाणपत्र और उस बाबत , उसको दी गई कारण पृच्छा नोटिस बारे कोर्ट को असलियत बता रही है ,तब वो मुकदमा वापस ले रहा ह । कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए याचिकाकर्ता को मुकदमा वापस लेने की अनुमति दी , लेकिन उस पर हर्जाना लगाया, जिसे बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के दफ्तर में जमा करने का निर्देश दिया गया ।