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नई सरकार बनाने के बाद अब सूखा संकट का हाल जानने निकले सीएम नीतीश, कम बारिश होने से अकाल के आसार

नई सरकार बनाने के बाद अब सूखा संकट का हाल जानने निकले सीएम नीतीश, कम बारिश होने से अकाल के आसार

पटना. सामान्यतः मानसून यानी बारिश के मौसम में बिहार बाढ़ के कारण परेशान रहता है. लेकिन इस साल स्थिति भिन्न है. हर साल बाढ़ की विभिषका झेलने वाले राज्य में इस बार सूखा संकट गहरा रहा है. जून से ही मानसून की शुरुआत हो चुकी है और सावन भी बीत चुका है लेकिन सूबे में अब तक बारिश ना के बराबर है. भादो के महीने को झमाझम बारिश के लिए जाना जाता था लेकिन इस बार भादो में भीषण उमस से लोगों का जीना दूभर है. तेज धूप और उमस वाली गर्मी के कारण लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है जिनके खेतों में धान की फसल उजाड़ के हालात में है. 

राज्य में पर्याप्त बारिश नहीं से अकाल के आसार गहराने लगे हैं. ऐसे में स्थिति की गंभीरता का आकलन करने के लिए अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रभावित जिलों का सर्वेक्षण करने का निर्णय किया है. सीएम नीतीश शुक्रवार को राज्य के पटना भोजपुर, बक्सर, औरंगाबाद समेत कई जिलों का एरियल सर्वे करेंगे. इस दौरान उनके साथ संबंधित विभागों के कुछ मंत्री और अधिकारियों का दल भी मौजूद रहेगा. सर्वे के बाद वे अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति पर चर्चा करेंगे और आगे के हालातों पर रणनीति बनेगी. 

दरअसल, मानसून सीजन अभी तक बिहार में सामान्य बारिश की तुलना में तकरीबन 60 फीसदी बारिश ही दर्ज की गई है. मौसम विभाग के अनुसार जून से अब तक राज्य में औसतन 602 मिमी बारिश होनी चाहिये थी. लेकिन, सिर्फ 378 मिमी बारिश ही अभी तक हुई है. जिसके चलते बिहार में सूखे के आसार बन रहे हैं. जिसको लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. बिहार इस समय सबसे खराब स्थिति से गुजर रहा है. बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिति बेहद खराब है.


वहीं, प्रदेश का कई जिला ऐसा भी है जहां पर 40 फिसदी ही बारिश अब तक हुई है. इन जिलों में लखीसराय और भागलपुर भी शामिल हैं. प्रदेश में कम बारिश के कारण कई जिलों में धान की रोपनी भी प्रभावित हुई है. सूबे के धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास, कैमूर जैसे जिलों में भी स्थिति बेहद खराब है. यहां नहरों के सहारे खेतों में पटवन हो रहा है. लेकिन नहर में भी तेजी से पानी कम होने के कारण हालात बद से बदतर होने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं उत्तर बिहार के जिलो में में स्थिति सामान्य नहीं है. ज्यादातर जिलों में धान और खरीफ फसलों पर कम बारिश के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. 


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