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इथेनॉल उत्पादन की मंजूरी मिलने के बाद सीमांचल के किसानों को उद्योग आधारित खेती की आस

इथेनॉल उत्पादन की मंजूरी मिलने के बाद सीमांचल के किसानों को उद्योग आधारित खेती की आस

KATIHAR: बिहार में इथेनॉल के उत्पादन की मंजूरी मिलने के बाद से किसानों के चेहरे पर सुकून है. गन्ना उत्पादन को बढ़ावा मिलने की खबर से किसानों के बीच नई उम्मीद जगी है. 26 फरवरी को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के संबंध में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक हुई थी जिसमें राज्य में इथेनॉल उत्पादन यूनिट की स्थापना, बंद चीनी मिलों की पुनःस्थापना, नयी चीनी मिलों और अन्य संभावित उद्योगों की स्थापना के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई थी. 

बताते चलें कटिहार के सदर अनुमंडल के अलावा कोढ़ा और मनिहारी अनुमंडल में भी बड़े पैमाने पर मक्का, मखाना, केला और जूट की खेती होती है. वहीं उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने इथेनॉल उत्पादन को लेकर बड़ी उम्मीद जताते हुए कहा कि सीमांचल में भी कृषि आधारित उद्योग लगने की बड़ी संभावना है और सरकार आने वाले दिनों में निश्चित इस पर विचार करेंगे. सरकार का विचार है कि उद्यमियों को रोजगार के बड़े अवसर मिलें. इथेनॉल के उत्पादन की तैयारी हो चुकी है. मक्का, गन्ना और चावल आधारित इथेनॉल के उद्योग शुरू होने वाले हैं. पुराने मिलों में उत्पादन की तैयारी हो रही है. इथेनॉल से पेट्रोलियम उत्पाद में 20 प्रतिशत की बचत होती है. सीमांचल सहित फारबिसगंज में स्टॉर्च का कारखाना खुलने की तैयारी हो रही है. बिहार में कृषि आधारित उद्योग से न सिर्फ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है, बल्कि बदहाल हो चुके उद्योग व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकेगा. इसके साथ ही कुछ हद तक इससे पलायन पर भी रोक लगायी जा सकती है.

बाढ़ और कटाव से बदहाली, बर्बाद उद्योग धंधा बिहार के सीमांचल इलाके की विशेष पहचान रहा है. बिहार के सबसे पिछड़े इलाकों में खेती ही रोजगार का एक मात्र बड़ा साधन है. यहां मक्का, केला, मखाना और जूट जैसे कृषि उत्पादन बहुत हद तक रोजगार का दिशा और दशा तय करते हैं. इस बीच केंद्र सरकार की अनुमति से अब बिहार में इथेनॉल उत्पादन शुरू होने की चर्चा को लेकर किसानों में नई उम्मीद जगी है. लेकिन सीमांचल के किसान कहते हैं कि सीमांचल में गन्ना उत्पादन ना के बराबर होता है. ऐसे में बिहार के अन्य जो भी इलाकों के किसानों को यह लाभ मिला है उसके लिए वे लोग सरकार के शुक्रिया अदा करते हैं. साथ ही किसान यह चाहते हैं कि कोसी और सीमांचल में मक्का, मखाना, केला या जूट से भी जुड़े कोई उद्योग स्थापित किया जाए ताकि यहां के किसानों को लाभ मिल सके.


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