देश के सबसे पुराने प्राइवेट एयरलाइन जेट एयरवेज़ अब किंगफ़िशर की तरह नुकसान में चल रही है. कंपनी ने अपने कर्मचारियों को बड़ा झटका देते हुए कहा कि अब कंपनी के पास केवल 2 महीने तक का ही खर्चा है तो अब वे कर्मचारियों की वेतन पर कैची चलाएंगे। कंपनी ने आगे कहा कि अगर इसे इसके आगे भी अपनी उड़ाने जारी रखनी है तो कॉस्ट कटिंग करनी पड़ेगी।
कंपनी ने कहा कि अब वे 60 दिनों बाद ही बता पाएंगी की आगे उड़ान जारी रहेगा या नहीं। कंपनी ने अपने कर्मचारियों से खासतौर पर पायलटों से कह दिया है कि वो चाहे तो इस्तीफा दे सकते हैं। उन्हें इस्तीफा देने के बाद नोटिस पीरियड या फिर बॉन्ड की हामी भी नहीं भरनी पड़ेगी। इसके साथ ही कंपनी ने अपने काफी इंजीनियर्स को निकालने का फरमान जारी कर दिया है। इसके बाद केबिन क्रू और ग्राउंड स्टाफ में भी कर्मचारियों की संख्या में कटौती की जाएगी।
कंपनी ने ये भी साफ कर दिया की सैलरी काटने के बाद कोई भी रिफंड आगे नहीं मिलेगा। अभी अधिकारियों को सात साल का बॉन्ड या फिर एक करोड़ रुपये और पायलटों को एक साल का नोटिस पीरियड देना होता है। एयरवेज ने काफी सारे कर्मचारियों को निकाल दिया है. कंपनी ने कहा कि 25% तक की कटौती होगी वेतन में इससे कंपनी को 500 करोड़ का फायदा होगा।
कंपनी के प्रबंधन ने कर्मचारियों से कहा कि हवाई ईंधन के दामों में बढ़ोतरी और इंडिगो द्वारा ज्यादा मार्केट शेयर हासिल करने से उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। 2016 और 2017 में जहां कंपनी ने लाभ अर्जित किया था, वहीं 2018 के वित्त वर्ष में उसे 767 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घाटा बढ़कर के एक हजार करोड़ रुपये के पार जा सकता है।